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किसान धान की फसल में खैरा रोग लगने से कैसे रोके

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उप कृषि निदेशक डॉ0 किशोर ने बताया है कि मौसम विज्ञान विभाग की ओर से जारी मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक 31 अगस्त 2022 से 04 सितम्बर 2022 तक के लिए किसान को फसल सुरक्षा हेतु बताये जा रहे उपायों को अमल मे लाने की सलाह दी जाती है। जिसमे धान की फसल में यूरिया की दूसरी व अन्तिम टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 55 से 60 दिन बाद 60 से 65 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से करें।

टॉप ड्रेसिंग करते समय खेत में 02 से 03 सेंटीमीटर से अधिक पानी न हो

ध्यान रहे कि टॉप ड्रेसिंग करते समय खेत में 02 से 03 सेंटीमीटर से अधिक पानी न हो। मक्के की फसल में बारिश न होने की स्थिति में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई कर उचित नमी बनाये रखें। किसान भाई वर्षाकालीन प्याज की पौध की रोपाई इस समय कर सकते हैं। जल निकास का उचित प्रबन्ध रखें।

25 से 30 सेंटीमीटर ऊंची मिट्टी चढ़ाकर स्टेण्डिंग करें

जिन किसानों की टमाटर, हरी मिर्च, बैंगन व अगेती फूलगोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को मद्देनजर रखते हुये रोपाई मेडों (उपली क्यारियों) पर करें तथा जल निकास का उचित प्रबन्ध रखें। केले/पपीते के बागों की गुड़ाई करके तने के चारों ओर 25 से 30 सेंटीमीटर ऊंची मिट्टी चढ़ाकर स्टेण्डिंग करें। धान की फसल इस समय मुख्यतः वानस्पतिक वृद्धि की स्थिति में है अतः फसल में पत्ता मरोड़ या तना छेदक की निगरानी करें तना छेदक कीट की निगरानी हेतु फिरोमोन ट्रेप 3-4 प्रति एकड़ लगायें।

उन्होंने बताया है कि इस समय धान की फसल में खैरा रोग के प्रकोप की संभावना होती है जिसमें पत्तियां पीली पड़ जाती हैं जिस पर बाद में कत्थई रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। इसके नियंत्रण हेतु जिंक सल्फेट की 5 किलोग्राम मात्रा को 20 किलोग्राम यूरिया के साथ 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रयोग करें।

किसान लाइट ट्रेप (प्रकाश प्रपंश) का भी इस्तेमाल करें

सब्जियों (टमाटर, मिर्च, बैंगन, फूलगोभी व पत्तागोभी) में फल छेदक, शीर्ष छेदक एवं फूलगोभी व पत्तागोभी में डायमंड बैंक मोच की निगरानी हेतु फिरोमोन ट्रेप 3-4 प्रति एकड़ लगायें। कद्दूवर्गीय सब्जियों को ऊपर चढ़ाने की व्यवस्था करें ताकि वर्षा से सब्जियों की लताओं को गलने से बचाया जा सके।

किसान लाइट ट्रेप (प्रकाश प्रपंश) का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिये एक प्लास्टिक के टब या किसी बड़े बरतन में पानी और थोड़ा कीटनाशक दवाई मिलाकर एक बल्व जलाकर रात में खेत के बीच में रख दें। प्रकाश से कीट आकर्षित होकर उसी घोल पर गिरकर मर जायेंगे। इस प्रपंश से अनेक प्रकार के हानिकारक कीटों का नाश होगा।

किसानों को सलाह है कि बाजरा, मक्का व सब्जियों में खरपतवार नियंत्रण के लिये निराई-गुड़ाई का कार्य शीघ्र करें तथा सभी फसलों में सफेद मक्खी तथा चूसक कीटों की नियमित निगरानी करें। कद्दूवर्गीय एवं अन्य सब्जियों में मधुमक्खियों का बड़ा योगदान है क्योंकि ये परागण में सहायता करती हैं इसलिये जितना संभव हो मधुमख्खी पालन को बढ़ावा दें।

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