आपको अद्भुत हरदोई में आज रूबरू कराऊंगा उस मनोरम स्थल से जिसका पौराणिक महत्व तो है ही साथ मे वहां पर है औषधीय वृक्षों का खजाना भी और इस जगह का नाम है धोबिया आश्रम.
आश्रम अपने रमणीय माहौल, प्राकृतिक खूबसूरती, जमीन से निकलने वाले प्राकृतिक जल के साथ-साथ शिवलिंग के शीर्ष से निकलने वाले रहस्यमई जल के कारण आध्यात्मिक रूप से श्रद्धा का केंद्र है. अब जिला प्रशासन के प्रयासों के चलते पर्यटन स्थल भी घोषित हो चुका है.
हरदोई जिले के करीब 34 किलोमीटर दूर धोबिया आश्रम कई किलोमीटर फैले जंगलों के बीच बसा रमणीक स्थल है। शांत वातावरण में चिड़ियों की मधुर चहचाहट से मन प्रफुल्लित हो उठता है। आश्रम के उत्तर पूर्व दिशा में निकला प्राकृतिक जलस्रोत यहां का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। हरदोई ही नही आसपास जिलों से काफी तादात में लोग यहां आकर प्रकृति की खूबसूरती निहारते हैं।
महर्षि धौम्य और धोबिया आश्रम
कहते हैं कि धौम्य ऋषि के नाम से ही इस स्थल का नाम धोबिया आश्रम पड़ा। धौम्य ऋषि पांडवों के पुरोहित थे पौराणिक मान्यता है कि 84 हजार वैष्णवों ने नैमिषारण्य के आसपास तपस्या की थी. इसकी परिधि में धोबिया आश्रम भी आता है। कहीं पर समतल तो कहीं और कई फिट की ऊंचाई होने के कारण धोबिया आश्रम पर चहलकदमी करते समय पहाड़ी क्षेत्र की अनुभूति भी लोगो को होती है।
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धोबिया आश्रम के पास से बहती गोमती नदी यहां के माहौल को काफी सुंदर और दर्शनीय बनाती है. धोबिया आश्रम को सालों पहले सिद्ध संत नेपाली बाबा ने संवारा था,कहते हैं कि उन्होंने अपने शरीर को छोड़ने के समय की पहले ही घोषणा कर दी थी और उसी नियत समय पर देह त्याग दी थी।
आकर्षण का केंद्र बने प्राकृतिक जल स्रोत का रहस्य भी महाभारत काल से जुड़ा बताया जाता है. कहते हैं कि है कि महाभारत के समय दानवीर कर्ण ने अपने बाण से पृथ्वी को भेद कर पानी निकाला था. तभी से यह जल स्रोत चल रहा है और आज भी कोई इस के रहस्य को नहीं जान सका है. यहां पर जमीन से निकले इस जलस्रोत से लगातार पानी बहता रहता है जो प्रकृति की अनमोल धरोहर .है।
हालांकि लंबे समय तक उपेक्षा का दंश झेल रहे इस स्थल पर हरदोई के जिलाधिकारी पुलकित खरे की नजरें इनायत हुईं तो आश्रम का कायाकल्प हो गया। डीएम के सराहनीय प्रयासों से न सिर्फ जलस्रोत स्थल का जीर्णोद्धार हुआ बल्कि आने वाले पर्यटकों के लिए,ठहरने के लिए कमरा,शौचालय,बेंच आदि की भी व्यवस्था कराई गई और स्थल को सजाया संवारा गया जिससे आश्रम की सुंदरता निखर गईं। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो पिहानी कस्बे से तकरीबन सात किलोमीटर दूर यह ऐतिहासिक स्थल आपको रोमांचित करेगा।
जड़ी बूटियों की खान है धोबिया आश्रम
महर्षि धौम्य की तपस्थली कहे जाने वाले इस क्षेत्र में अनेकों औषधीय वृक्षों ने आश्रम की शोभा बढ़ा रखी है। आप कह सकते हैं कि जड़ी बूटियों की खान भी है धोबिया आश्रम…
हम सबसे पहले बात करते है हरसिंगार पेड़ की जिसका फूल तो खूबसूरत होता ही है,इसके औषधीय गुण भी लाजबाब है। हरसिंगार वृक्ष के औषधीय गुणों को लेकर कहा जाता है कि इसके फूल और पत्तो के औषधीय इस्तेमाल से जोड़ो के दर्द,खांसी,बुखार,साइटिका,बवासीर,त्वाचा के रोग,हृदय रोग,दर्द,अस्थमा और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
अब मिलाते हैं अमलतास वृक्ष से। इस वृक्ष में कफ नाशक,वात व्याधि,गैस,प्रमेह,गठिया रोग,पेट रोग को दूर करने के गुण बताए जाते हैं। यहां पर लगे सेमल के पेड़ को साइलेंट डॉक्टर भी कहा जाता है। कहते हैं कि इस पेड़ के हर हिस्से को ल्यूकोरिया, एनीमिया, दस्त,अस्थमा आदि में फायदेमंद होता है।
अशोक के पेड़ को तो आप जानते ही होंगे आश्रम की शोभा बढ़ा रहे इस पेड़ में भी औषधीय गुणों की खान बताई जाती है। कहते है कि स्त्री रोग संबंधी समस्याओं, इंटरनल ब्लीडिंग की रोकथाम,संक्रमण से बचाव, डायरिया से सुरक्षा, किडनी में पथरी की समस्या इसके औषधीय प्रयोग से दूर होती है। कनेर का पेड़ भी औषधीय गुणों से भरपूर बताया जाता है। चर्म रोग,खुजली,कुष्ठरोग, हृदयरोग,पीठदर्द,सिरदर्द,घाव,गुप्तरोग,पेट के कीड़े,लकवा आदि रोगों में फायदेमंद बताया जाता है।
बेल के फल का शर्बत गर्मियों में राहत तो देता है है। इसके अलावा भी इसके कई औषधीय गुण है। पेट दर्द,पीलिया, बदहजमी,मूत्र रोग,पेचिश, आंखों के रोग में इसके सेवन से आराम मिलता है। इसी तरीके से इस पौराणिक स्थल पर काफी संख्या में औषधीय वृक्ष और पौधे मौजूद हैं। आसपास क्षेत्र के जो ग्रामीण इनके गुणों से परिचित हैं वह देशी उपचार के रूप में इस्तेमाल भी करते हैं।
विशेष आभार- राम लखन सविता