लखीमपुर खीरी। सगे भाई की गोली मारकर हत्या करने के 24 वर्ष पुराने मामले में एडीजे सुभाष सिंह ने हत्यारे भाई को उम्रकैद की सजा सुनाई, साथ ही उस पर जुर्माना लगाया है।
अभियोजन पक्ष रखा और एडीजीसी कपिल कटियार ने बताया 11 अगस्त 1999 को सीतापुर की आवास विकास कॉलोनी में रहने वाले स्वामी दयाल अपने पुत्र संजीव और नीरज के साथ संजीव की ससुराल थाना क्षेत्र मितौली के ग्राम सरैया गए थे।
वहां सरसों की फसल के बंटवारे के लिए संजीव अपने ससुर विश्वनाथ के घर पर अपने भाई नीरज और पिता स्वामी दयाल के साथ रुका था। रात में संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद हुआ था। करीब तीन बजे संजीव ने तमंचे से अपने भाई नीरज को गोली मार दी।
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गोली की आवाज सुनकर लोग इकट्ठा हो गए तो घबरा कर संजीव फरार गया था, जिसकी सुबह 12 अगस्त को पंकज अवस्थी ने घटना की सूचना मितौली थाने में दर्ज कराई थी। घटना के सप्ताह भर बाद 19 अगस्त को दूसरे व्यक्तियों को आरोपी बनाते हुए पंकज अवस्थी ने परिवाद पत्र अदालत में दाखिल किया था।
अदालती सुनवाई के दौरान ही 2 अप्रैल 2000 को संजीव के कब्जे से तमंचा बरामद हुआ। पुलिस ने संजीव के साथ उसके पिता स्वामी दयाल को भी हत्यारोपी बनाया था, लेकिन सुनवाई के दौरान कई गवाह बयानों से मुकर गए।
शनिवार को अपना फैसला सुनाते हुए एडीजे सुभाष सिंह ने संजीव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, साथ ही उस पर 12000 रुपया का जुर्माना लगाया है। सबूतों के अभाव में साजिश रचने के आरोप से पिता स्वामी दयाल को बरी किया गया है।
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