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Google-Deepfakes Rules: यूट्यूब पर AI से बनी सामग्री के लिए अब होंगे नियम, गूगल ने शुरू की सख्ती

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सरकार के निर्देशों के बाद, Google ने बुधवार को डीपफेक सामग्री को रोकने के लिए कई कदम उठाने की घोषणा की है। इस प्रारंभिक कदम में, यूट्यूब से शुरूआत की जा रही है, जहां सामग्री निर्माताओं से कहा जा रहा है कि वे अगर डीपफेक, बिगाड़ी हुई या नकली तस्वीरें, वीडियो, या आवाज अपलोड करते हैं तो उन्हें इसकी सूचना देनी होगी।

इसके साथ ही Google भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का इस्तेमाल करके ऐसी सामग्री को हटाएगा जो किसी व्यक्ति की पहचान से मिलती-जुलती है, जैसे कि उसके चेहरे या आवाज।

AI से जुड़ी देनी होगी जानकारी

एक ब्लॉग पोस्ट में Google ने बताया है, ‘आने वाले कुछ महीनों में यूट्यूब पर असली सामग्री में हुए बदलाव और उसमें एआई टूल्स का इस्तेमाल क्या है, इसकी जानकारी क्रिएटर्स को देनी होगी। वह क्रिएटर्स से इस बारे में बात कर रहा है ताकि उन्हें यह समझाया जा सके कि वे अपनी भूमिका समझें और बदलावों के लिए क्या करें, उन्हें पता चले।

हालांकि, बीते सप्ताह, आईटी व इलेक्ट्रॉनिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव और राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया और टेक कंपनियों से डीपफेक सामग्री को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने को कहा था। सरकार इसके लिए नियम और दिशानिर्देश भी जारी करने जा रही है।

वाटरमार्क का सहार, चुनाव विज्ञापन नीति में सुधार:

गूगल ने बताया है कि डीपफेक से निपटने के लिए, सामग्री पर वाटरमार्क और मेटाडाटा लेबल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर चुनावी विज्ञापन डिजिटली जनरेट की गई सामग्री से बनाया गया है, तो इसे विज्ञापन में दिखाने को कहा गया है।

Deepfakes के खिलाफ कोई रामबाण नहीं: Google

Google ने कहा है कि डीपफेक और एआई आधारित भ्रामक सामग्री से लड़ने के लिए कोई एक ही समाधान नहीं है। इन्हे निष्पक्ष तरीके से हटाने और खुला संवाद करने की जरूरत है

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