समाजवादी पार्टी ने तीन महीने बाद अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा कर दी है. अखिलेश यादव की इस कार्यकारिणी से साफ हो गया है कि उनकी पार्टी पिछड़ों-दलितों और मुसलमानों के ही समीकरण पर राजनीति करेगी.
पार्टी में मुसलमान और यादवों के अलावा अब अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का भी दबदबा होगा. दरअसल, रविवार को पार्टी ने संगठन के पदों पर नामों का ऐलान कर दिया है. जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद उपाध्यक्ष, प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय सचिवों के नामों का ऐलान हुआ है.
पार्टी ने जिन 14 राष्ट्रीय महासचिवों का ऐलान किया है, उसमें एक भी ब्राह्मण या ठाकुर नहीं है. वहीं मुस्लिम चेहरों में भी आजम खान के अलावा किसी अन्य चेहरे को राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर जगह नहीं मिली है, जबकि इस बार अखिलेश यादव ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को भरपूर जगह दी है. रवि प्रकाश वर्मा, स्वामी प्रसाद मौर्य, विश्वंभर प्रसाद निषाद, लालजी वर्मा, राम अचल राजभर हरेंद्र मलिक नीरज चौधरी ऐसे नाम हैं, जिन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है.
अखिलेश यादव ने ओबीसी की सभी बड़ी जातियों को राष्ट्रीय संगठन में बड़े पद दिए गए हैं. मौर्य, राजभर निषाद और कुर्मी जाति के अलावा जाट नेताओं को भी राष्ट्रीय संगठन पदों पर सपा ने जगह दी है, जबकि पासी, जाटव जैसी दलित जातियों को भी जगह मिली है.
समाजवादी पार्टी ने भी इस बार बाहर से आए नेताओं को भरपूर स्थान दिया है, वो चाहे बीजेपी से आए नेता हो या फिर बीएसपी से आए हुए नेता, या फिर कांग्रेस से. इस बार संगठन में उन्हें भी भरपूर जगह दी गई है. वहीं अखिलेश यादव एक बार फिर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं, जबकि किरनमय नन्दा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और रामगोपाल यादव राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव और शिवपाल सिंह यादव राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए हैं.
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