इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहुत ही अहम् टिप्पड़ी की कहा कि सामूहिक दुष्कर्म में शामिल महिला को भी दोषी ठहराया जा सकता है। हाईकोर्ट ने टिप्पड़ी की कि वैसे तो कोई महिला दुष्कर्म का अपराध नहीं कर सकती है, लेकिन उसने लोगो के साथ मिलकर दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया तो संशोधित प्रावधानों के अनुसार उस पर गैंगरेप का मुकदमा चलाया जा सकता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट यह टिप्पणी करते हुए सिद्धार्थनगर के थाना बांसी में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर राहत देने से इन्कार कर दिया और कहा कि मामले में हस्तक्षेप की जरूरत नहींं है। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने सुनीता पांडेय की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।
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दुष्कर्म मामले में निचली अदालत ने उसे ट्रायल का सामना करने का दिया था आदेश
याची सुनीता पांडेय की ओर से कहा गया कि वह महिला है और वह रेप नहीं कर सकती है। उसे फर्जी फंसाया गया है। मामले में याची सुनीता पांडेय का नाम पीड़ित के CRPC की धारा 161/164 के बयान के तहत आया था। निचली अदालत ने उसे ट्रायल का सामना करने का आदेश दिया।
याची ने उसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। कोर्ट ने विचार करते हुए टिप्पड़ी की अगर कोई महिला सामूहिक रूप से दुष्कर्म में शामिल है तो उसके खिलाफ भी मुकदमा चल सकता है और उसे दंड भी दिया जा सकता है।