हिंदू धर्म में हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा  जाता है और भगवान भोलेनाथ की विधिवत पूजा-आराधना की जाती है।

जिसमे भगवान भोलेनाथ की विधिवत पूजा-आराधना की जाती है। और महादेव भी अपने भक्तों के सभी कष्ट दूर कर सुख-समृद्धि का वरदान देते हैं। 

आइए जानते हैं वैशाख महीने का पहले प्रदोष व्रत की सही डेट, मुहूर्त , पूजाविधि, मंत्र और आरती 

दृक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 5 मई को शाम 5:41 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 6 मई को शाम दोपहर 2:40 मिनट पर होगी। 

इस दिन शाम 06 बजकर 59 मिनट से लेकर 09 बजकर 06 मिनट तक प्रदोष काल पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है। 

इसके बाद शिवजी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। शिवजी की प्रतिमा के समक्ष धूप, दीप और नेवैद्य अर्पित करें। 

इसके बाद सभी देवी-देवताओं के साथ शिव-गौरी की आरती उतारें। इसके बाद सायंकाल में भगवान शिव की विधिवत पूजा करें। 

शिवलिंग पर जलाभिषेक करें। प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें। शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल, धतुरा, आक के फूल और भस्म चढ़ाएं। 

इसके बाद शिवजी के बीज मंत्र 'ऊँ नमः शिवाय' का 108 बार जाप करें। शिव चालीसा का पाठ करें