पितृपक्ष पितरों को समर्पित है। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है।

पितृ पक्ष  जानें नियम, विधि और महत्व 

पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से होती है और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर इसका समापन होता है।

पितृ पक्ष  जानें नियम, विधि और महत्व 

पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करके उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है।

पितृ पक्ष  जानें नियम, विधि और महत्व 

पितृपक्ष में पितरों को तर्पण देने और श्राद्ध कर्म करने से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में चलिए जानते हैं तर्पण विधि, नियम, सामग्री बारे में...

पितृ पक्ष  जानें नियम, विधि और महत्व 

 पितृपक्ष की शुरुआत इस साल आज यानी 29 सितंबर 2023 से हो रही है। इसका समापन 14 अक्तूबर को होगा।

पितृ पक्ष  जानें नियम, विधि और महत्व 

पितृपक्ष के दौरान प्रतिदिन दोपहर को पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए। तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करना चाहिए।

पितृ पक्ष  जानें नियम, विधि और महत्व 

पितृपक्ष में बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए। साथ ही इन दिनों में घर पर सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन भी करना चाहिए.

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पितृ पक्ष में अगर कोई जानवर या पक्षी आपके घर आए, तो उसे भोजन जरूर कराना चाहिए. मान्‍यता है कि पूर्वज इन रूप में आपसे मिलने आते हैं.

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श्राद्ध कर्म हमेशा दिन में करें. सूर्यास्‍त के बाद श्राद्ध करना अशुभ माना जाता है. इन दिनों में लौकी, खीरा, चना, जीरा और सरसों का साग नहीं खाना चाहिए.

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