होमहरदोईपिता हुए बीमार तो बेटी ने टैक्टर की पकड़ ली स्टेरिंग

पिता हुए बीमार तो बेटी ने टैक्टर की पकड़ ली स्टेरिंग

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उसे घर की दहलीज नहीं रोक सकीं और न ही लोगों की बातें पैरों की बेड़ियां बनीं। खुद को बेटे के समान साबित करने की ललक और परिवार की मदद का जज्बा लेकर वह भी खुद ट्रैक्टर चलाकर खेती किसानी करने लगीं। हालांकि पहले लोगों को कुछ अखरा तो ताने मारे लेकिन अब बेटी उसका पुरूषार्थ देखकर गांव के लोग उस पर नाज कर रहें हैं। जी हां, ये किस्सा मंसूरनगर क्षेत्र के हरिहरपुर गांव निवासी मीना यादव का है।

करीब दो साल पहले उसके छोटे भाई का पैर टूट गया। इलाज के दौरान परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ गया। इस बीच उसके पिता भी शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो गए। उन्हें दमा की बीमारी ने घेरा तो आजीविका का मुख्य जरिया कृषि था प्रभावित होने लगा। इससे परिवारीजनों की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने लगी। ऐसे में बीए पास मीना ने मोर्चा संभाला और परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए खेतीबाड़ी का बोझ अपने कंधे पर ले लिया। ट्रैक्टर व बाइक चलाना सीखा। मोबाइल पर यूट्यूब के जरिए व कृषि विभाग के अधिकारियों से फोन पर खेती से जुड़ी नई-नई तकनीक सीखना शुरू कर दिया।

अब वह खुद खेत की जुताई करती है। थ्रेसर से फसल की गहाई करती है। जरूरत पड़ने पर ट्रैक्टर से अनाज को मंडी तक भी पहुंचा देती है। मीना कहती हैं कि कोशिश रहती है कि पिता को बीमारी की हालत में धूल-धुएं में जाकर मेहनत न करनी पड़े। पढ़ी लिखी होने का फायदा भी उसे मिला। फसल से संबंधित खाद, दवा आदि की खरीद के लिए दुकानदार उसे बरगला नहीं पाए। मीना कहती है कि अब आमदनी बढ़ाने के लिए वह दूसरों के खेतों की जुताई आदि कृषि कार्य भी करती हैं। बोलीं कि बेटियों को किसी से डरना नहीं चाहिए। हौसले बुलंद रखने चाहिए। मुसीबत आने पर डटकर मुकाबला करें व मुंहतोड़ जवाब दें तो किसी की मजाल नहीं कि आपकी ओर बुरी निगाह से देख सके। खेती के क्षेत्र में भी महिलाएं कैरियर बनाकर आत्मनिर्भर व परिवार का सहारा बन सकती हैं।

हरिहरपुर निवासी रामफूल की तीन बेटी व दो बेटा है। सबसे बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है। मीना दूसरे नंबर की बेटी है। दोनों भाई उससे छोटे हैं। पिता रामफूल कहते हैं कि मीना बेटों से बढ़कर है। मीना हर कदम पर उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहती हैं। उसे अपनी बेटी पर नाज है।

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