हरदोई: गांवों में नई सरकार तो बन गई है, लेकिन नव निर्वाचित प्रधान जनता के लिए सोचे गए अभी अपने मन के काम नहीं करा पाएंगे। इस वर्ष पुराने प्रधानों की कार्ययोजना के काम होंगे।
दरअसल, वित्तीय वर्ष 2021-22 की कार्य योजना चुनाव की घोषणा के पहले ही बन गई थी और उसे प्लान प्लस सॉफ्टवेयर में अपलोड भी कराया जा चुका है। अब इस वर्ष पुराने प्रधानों के कार्यकाल में बनी उसी कार्य योजना के काम होंगे।
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वर्ष 2021-22 की कार्य योजना 31 मार्च तक प्लान प्लस में अपलोड कराने का समय था, लेकिन प्रधानी के चुनाव होने के कारण इस वर्ष दिसंबर में ही पुराने प्रधानों के कार्यकाल में कार्य योजना बनाकर ब्लाकों में जमा करा दी गई थी। जाहिर है कि पुराने प्रधानों ने कार्य योजना बनवाई तो उन्होंने अपने मन के काम ही योजना में शामिल कराए, जिसका सत्यापन कराकर प्लान प्लस सॉफ्टवेयर में अपलोड भी करा दिया गया और वह लॉक भी हो चुका है।
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अब अधिकांश गांवों में प्रधान बदल चुके हैं। कुछ आरक्षण से बाहर हो गए तो कई चुनाव हार गए। अब जो नए प्रधान बने हैं वे विकास के लिए सोचते हैं तो कार्य योजना में पुराने प्रधान के काम खुलकर सामने आते हैं। यानी कि प्रधानों को पुराने प्रधानों द्वारा स्वीकृत कराए गए काम ही कराने पड़ेंगे। उन्होंने चुनाव के दौरान जनता से जो वादा किए थे फिलहाल इस वर्ष वह पूरे नहीं कर पाएंगे।
नव निर्वाचित प्रधानों के लिए सप्लीमेंट्री प्लान का खुला है रास्ता
ग्राम पंचायतों में वैसे तो काम पुरानी कार्य योजना के आधार पर ही होंगे, लेकिन गांव के दो अति महत्वपूर्ण काम प्रधान सप्लीमेंट्री प्लान में शामिल कर उसे कार्ययोजना में शामिल कर सकते हैं। नए प्रधान ग्राम पंचायत की बैठक कर प्रस्ताव तैयार कराएं और फिर उसे सप्लीमेंट्री कार्य योजना बनाकर प्लान प्लस में अपलोड करा सकते हैं और इस तरह से वह अपने मन के दो काम करा सकते हैं।
जो कार्य योजना सॉफ्टवेयर में अपलोड हो चुकी है, इस वित्तीय वर्ष में उन पर ही काम होगा। उसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता है। हां अगर नव निर्वाचित प्रधानों को लगता है कि कोई महत्वपूर्ण काम छूटा है तो उसे सप्लीमेंट्री प्लान के रूप में अपलोड करा सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें दो मौके ही मिलेंगे।—गिरीश चंद्र, जिला पंचायत राज अधिकारी