हरदोई : जिला कार्यक्रम अधिकारी बुद्वि मिश्रा ने बताया है कि विभाग की सेवाओं, स्वास्थ्य एवं पोषण शिक्षा पर लाभार्थियों एवं जन समुदाय को जागरूक करना बाल विकास विभाग की एक आवश्यक सेवा है। इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग द्वारा प्रतिमाह पोषण पाठशाला नामक कार्यक्रम अयोजित किये जाने का निर्णय लिया गया है, जिसका थीम ’’शीघ्र स्तनपान-केवल स्तनपान‘‘ है।
मई माह में प्रथम पोषण पाठशाला का आयोजन आज किया गया, पोषण पाठशाला के अंतर्गत इस थीम पर विषय विशेषज्ञों द्वारा चर्चा हुयी और प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिये गये।राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 ( एनएफएचएस 5) के अनुसार उत्तर प्रदेश में शीघ्र स्तनपान (जन्म के एक घंटे के अंदर नवजात शिशु को स्तनपान) का दर 23.9 प्रतिशत है और छह माह तक के शिशुओं में केवल स्तनपान का दर 59.7 प्रतिशत है ।
शिशुओं में शीघ्र स्तनपान व ‘‘केवल स्तनपान‘‘ उनके जीवन की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है, परंतु ज्ञान के अभाव और समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण यह सुनिश्चित नहीं हो पाता है, जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध होता है । इसके लिए माह मई व जून में प्रदेश में ‘‘पानी नहीं, केवल स्तनपान‘‘ अभियान चलाया जा रहा है।
माँ का दूध शिशु के लिए अमृत के समान है। शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए यह आवश्यक है कि जन्म के एक घंटे के अंदर शिशु को स्तनपान प्रारम्भ करा देना चाहिए व छह माह की आयु तक उसे केवल स्तनपान कराना चाहिए। परंतु समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण केवल स्तनपान सुनिश्चित नहीं पाता है।
मॉ एवं परिवार को लगता है कि स्तनपान शिशु के लिए पर्याप्त नहीं है और वह शिशु को अन्य चीचे जैसे कि घुट्टी, शर्बत, शहद, पानी, पिला देती है। स्तनपान से ही शिशु की पानी की भी आवश्यकता पूरी हो जाती है। इसलिए शीघ्र स्तनपान केवल स्तनपान की अवधारणा को जन जन तक पहुॅचाना है।
वयस्कों की तरह उसे भी पानी की आवश्यकता होगी। अतः उसे पानी देने का प्रचलन बढ़ जाता है और शिशुओं में केवल स्तनपान सुनिश्चित नहीं हो पाता है। साथ ही शिशु में दूषित पानी के सेवन से संक्रमण से दस्त आदि होने की भी संभावना बढ़ जाती है। पोषण पाठशाला कार्यक्रम मे सभी आगंनबाडी केन्द्रों पर आगंनबाड़ी कार्यकत्रिया व अन्य महिलायें वेबकास्ट के माध्यम से कार्यक्रम से जुड़ी।
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