मनीष सविता
पिहानी। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुके सलमान ज़फर उर्दू के शायर हैं। पिहानी के मोहल्ला नागर निवासी हाफिज सलीमुल्लाह के पुत्र सलमान सफर यूपी के अलावा मध्यप्रदेश ,राजस्थान सहित कई प्रदेशों के अलावा विदेश में आयोजित मुशायरों और कवि सम्मेलनों में अपनी अदब की शायरी से पिहानी कस्बे का नाम बुलंद कर चुके हैं।
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हरदोई जिले के छोटे से कस्बे पिहानी के रहने वाले सलमान ज़फर समाज को आईना दिखाती अपनी शेरो शायरी से देश ही नही विदेश में भी नाम के हरदोई जिले का नाम भी रोशन कर रहें हैं।
सलमान आज तक चैनल के एक कार्यक्रम में मशहूर कवि कुमार विश्वास के संचालन में देश के वीर सपूतों के लिए कविता पाठ कर चुके हैं। अपने जनस्थल पिहानी कस्बे से शेरो शायरी की शुरुआत करके सफलता को छूने वाले सलमान जफर अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता और गुरूओ को देते हुए कहते है कि कभी भी सफलता को अपने ऊपर हावी नही होने देना चाहिए।
जो मिठाई क़ीमती थी वो खटाई हो गई!
बचपने के दोस्त से मेरी लड़ाई हो गई!
आज फिर इमां बचाया, और अना बाक़ी रही!
ख़ुद को देने के लिए इतनी कमाई हो गई!
सारे भाई आ गये हैं ईद मिलने के लिए,
फिर कुशादा मेरे घर की चारपाई हो गई!
वो जो मेरा ख़्वाब थी, कल फ़ोन पर उसने कहा,
भूल जाओ तुम मुझे, मेरी सगाई हो गई!
उसने आने को कहा था और आया भी नहीं,
इस बहाने ही चलो घर की सफ़ाई हो गई!
सोचिए तो दोस्तो दुनिया की बस इक रस्म से,
कितने रिश्ते जुड़ गये, बेटी पराई हो गई!
~सलमान ज़फ़र
सलमान ज़फर अपनी शायरियों के जरिए समाज के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को उठाते आए हैं। सफर के दौरान जल्दबाजी करने से होने वाली दुर्घटना पर भी उन्होंने सलीके से रोशनी डाली है। उनकी शायरी में अपने बच्चों के लिए मां बाप का संघर्ष दिखता है तो एक बेटे के लिए अपने बुजुर्गों के प्रति सम्मान नजर आता है।
कस्बे के शुऐब खाँ, उमाकांत सिंह आदि लोग कहते हैं कि सलमान जफर न सिर्फ कस्बे के नाम रोशन कर रहें हैं बल्कि युवा शायरों के लिए एक मिसाल भी बन रहे हैं।
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