Hardoi News: हरदोई जिले के शाहाबाद में सर्राफा और कपड़ा कारोबारी रूपेश द्विवेदी ने देनदारी से बचने के लिए खुद पर गोली चलाने और लूट की झूठी कहानी गढ़ी। पुलिस को गुमराह करने की कोशिश में उसने एक ऐसी साजिश रची, जिससे हाईवे पर हड़कंप मच गया। हालांकि, उसकी योजना को सीसीटीवी फुटेज ने नाकाम कर दिया, और पुलिस ने उसकी कहानी का पर्दाफाश कर दिया।
गोली और लूट की कहानी
रूपेश द्विवेदी, जो मझिला थाने के औड़ेरी गांव का निवासी है और शाहाबाद में सर्राफा और कपड़े का व्यवसाय करता है, ने दावा किया कि बुधवार को वह बुलेट से हरदोई जा रहा था।
रास्ते में तीन बदमाशों ने उसे रोककर नकदी और जेवर छीनने की कोशिश की। नकदी नहीं देने पर बदमाशों ने उसके कंधे में गोली मार दी और सोने की अंगूठियां, गले की चेन और ₹1.20 लाख नकद लेकर फरार हो गए।
रूपेश को बाद में एक एंबुलेंस से सीएचसी ले जाया गया। पुलिस ने घटना की गंभीरता को देखते हुए मामले की जांच तेज कर दी।
सच्चाई उजागर करने में सीसीटीवी फुटेज ने की मदद
घटना के कथित स्थान के पास लगे सीसीटीवी कैमरे ने रूपेश की कहानी की पोल खोल दी। फुटेज में न तो उसकी बुलेट पर किसी थैले का पता चला और न ही ऐसा कोई संकेत मिला जिससे घटना के सत्य होने की पुष्टि होती।
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पुलिस के मुताबिक, एक फुटेज में रूपेश एक दिशा में जाते हुए और 52 सेकंड बाद उसी जगह खड़ा दिखा, जैसे वह किसी का इंतजार कर रहा हो। उसने जिन व्यापारियों से नकदी वसूलने की बात कही थी, उन्होंने भी बताया कि रूपेश उनके पास पहुंचा ही नहीं।
खुद पर चलाई गोली, साजिश का खुलासा
जांच के दौरान पुलिस ने रूपेश से कड़ाई से पूछताछ की। एसपी नीरज सिंह जादौन ने बताया कि उसने खुद इस बात को स्वीकार किया कि उसके पास लूट के समय केवल ₹1,000-₹1,500 थे। उसने खुद पर गोली चलाई और तमंचा झाड़ियों में फेंक दिया। पुलिस ने घटना स्थल से 315 बोर का तमंचा बरामद कर लिया है।
झूठी कहानी के लिए होगी कार्रवाई
एसपी जादौन ने कहा कि रूपेश द्वारा गढ़ी गई झूठी कहानी ने न केवल पुलिस को गुमराह किया बल्कि आम जनमानस में दहशत भी फैलाई। पुलिस को नाहक कई दिन मेहनत करनी पड़ी। इस अपराध के लिए रूपेश के खिलाफ गुमराह करने और दहशत फैलाने के आरोप में कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
आईजी को भी बीच रास्ते लौटना पड़ा
घटना हाईवे पर सर्राफा कारोबारी से जुड़ी थी, इसलिए मामला राजधानी तक पहुंच गया। आईजी प्रशांत कुमार ने हरदोई पहुंचने का कार्यक्रम बनाया। हालांकि, जब उन्हें इस मामले की वास्तविकता का पता चला, तो मल्लावां से ही वापस लौट गए।
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