क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) एक डिजिटल या डिजिटलिज्ड आसेट होती है जो क्रिप्टोग्राफी (एक प्रकार की गुप्त शिल्लकन) का उपयोग करके बनाई जाती है। यह एक प्रकार की विर्टुअल या डिजिटल मुद्रा होती है, जिसे इंटरनेट के माध्यम से विनिमय किया जा सकता है। क्रिप्टोकरेंसी के सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में बिटकॉइन, एथरियम, रिपल, लाइटकॉइन आदि शामिल हैं।
क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) की कार्यप्रणाली:
1. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी: अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग करती है, जो एक प्रकार की डिजिटल लेजर होती है। यह एक सुरक्षित और सत्यापित रिकॉर्ड होता है जिसमें सभी वित्तीय लेन-देन ट्रांजैक्शनों की जानकारी होती है।
2. क्रिप्टोग्राफी: क्रिप्टोकरेंसी के ट्रांजैक्शन्स को सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग किया जाता है। यह दूसरे व्यक्तियों के द्वारा ट्रांजैक्शन की जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।
3. डेसेंट्रलाइजेशन: अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी डेसेंट्रलाइज्ड (बिना केंद्र) होती हैं, जिसका मतलब उन्हें किसी सिंगल शासकीय प्राधिकृत संगठन द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
4.माइनिंग: कुछ क्रिप्टोकरेंसी की निर्माण को ‘माइनिंग’ कहा जाता है, जिसमें कंप्यूटरों का नेटवर्क गणनाएँ करता है और नए ट्रांजैक्शन को सत्यापित करता है।
क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे कि वित्तीय लेन-देन, निवेश, स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में, और नए तकनीकी उद्यमों का समर्थन करने के लिए। यह एक सरल समझ में आने वाला बाजार नहीं है, और इसके साथ संबंधित विपरीत मत भी हो सकते हैं। क्रिप्टोकरेंसी का बाजार वोलेटाइल (अस्थिर) हो सकता है, जिससे उसके निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए।
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CryptoCurrency: बिटकॉइन (Bitcoin)
बिटकॉइन (Bitcoin) पहली डिजिटल क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) है जिसे सतोशी नाकामोतो नामक एक व्यक्ति द्वारा 2008 में प्रस्तुत किया गया था। बिटकॉइन ने क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की शुरुआत की और इसे सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) बनाया।
बिटकॉइन की आपूर्ति सीमित है और उसकी अंतिम सीमा 21 मिलियन बिटकॉइन है। यह मानव निर्मित मुद्राओं से भिन्न है जो सामान्यत: सिंगल अथॉरिटी द्वारा निर्मित की जा सकती हैं।
बिटकॉइन एक नए प्रकार के वित्तीय प्रणाली की शुरुआत की थी और इसका प्रयोग वित्तीय लेन-देन, निवेश, और संबंधित क्षेत्रों में किया जा रहा है। यह एक उच्च लेवल की तकनीकी जानकारी की आवश्यकता हो सकती है, और निवेश से पहले अच्छे से समझ लेना ही बेहतर है.
CryptoCurrency: एथरियम (Ethereum)
एथरियम (Ethereum) भी एक प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी है जो बिटकॉइन के बाद विकसित की गई है, लेकिन यह बिटकॉइन से थोड़ी अलग तकनीकों और उद्देश्यों को ध्यान में रखकर बनायी गई है।
एथरियम की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ:
1. स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स: एथरियम ने स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स की अवधारणा को मान्यता दी है, जो कोड के रूप में लिखे जाते हैं और उन्हें ब्लॉकचेन पर निष्पादित किया जा सकता है। ये स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स खुद से स्वत: संपन्न होते हैं और प्राथमिकता से व्यवस्था की जाती है, जो उन्हें सक्रिय करती है।
2. ईथर (ETH): एथर एथरियम की मुख्य क्रिप्टोकरेंसी है और इसका उपयोग नेटवर्क पर ट्रांजैक्शन फीस के रूप में होता है और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स की भुगतान के लिए भी किया जाता है।
3. डीएपी (Decentralized Applications): एथरियम के नेटवर्क पर डीएपी बनाए जा सकते हैं, जो विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जा सकते हैं, जैसे कि वित्तीय सेवाएँ, ऑनलाइन गेम्स, डिजिटल क्यूरेंसी वॉलेट्स, और अन्य सेवाएँ।
4. विभिन्न टोकन्स: एथरियम प्लेटफ़ॉर्म पर अनेक अन्य क्रिप्टोकरेंसी भी बनाई जा सकती है, जिन्हें टोकन्स कहा जाता है। ये टोकन्स विशिष्ट उद्देश्यों के लिए बनाए जाते हैं और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के माध्यम से प्रबंधित किए जाते हैं।
एथरियम एक प्रकार के डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के रूप में काम करता है जिसमें स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स, डीएपी और टोकन्स का उपयोग किया जाता है। यह एक नये तरीके से उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और प्राथमिकताओं को प्रबंधित करने की दिशा में कदम बढ़ाता है।
CryptoCurrency: रिपल (Ripple)
रिपल (Ripple) एक डिजिटल पेमेंट प्रोटोकॉल और एक क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) है जो वित्तीय संचार, संचार बैंकिंग, और स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संबंधों को सुगम बनाने के उद्देश्य से विकसित की गई है।
रिपल की महत्वपूर्ण विशेषताएँ:
1. आवाज का प्रोटोकॉल: रिपल एक प्रोटोकॉल है जिसे आवाज का प्रोटोकॉल कहा जाता है, जो विभिन्न वित्तीय संवाद सेवाओं के लिए उपयोग होता है। यह बैंकों, वित्तीय संस्थानों और व्यापारिक संगठनों के बीच सुरक्षित और त्वरित वित्तीय संवाद को सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
2. एक्सचेंज्स और लिक्विडिटी: रिपल का मुख्य उद्देश्य विभिन्न मुद्राओं और संपत्तियों की त्वरित और सस्ती खरीददारी करने के लिए लिक्विडिटी प्रदान करना है। इसके लिए रिपल में एक विशेष डिजिटल एसेट होता है, जिसे XRP कहा जाता है।
3. इंटरऑपरेबिलिटी: रिपल का मुख्य उद्देश्य अलग-अलग वित्तीय संबंधों के बीच आसान और त्वरित वित्तीय प्रवाह को सुनिश्चित करना है।
4. पारंपरिक तंत्रिकाओं के साथ सहयोग: रिपल ने वित्तीय संस्थानों के साथ सहयोग करके पारंपरिक तंत्रिकाओं को उनके संवाद और वित्तीय प्रक्रियाओं को सुधारने में मदद की है।
रिपल का उद्देश्य है वित्तीय प्रवाह को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए तकनीकी और प्रौद्योगिकी उपाय प्रदान करना। यह एक प्रकार की डिजिटल वित्तीय इंफ्रास्ट्रक्चर की तरह काम करता है और वित्तीय संवाद को बेहतर बनाने का प्रयास करता है।
CryptoCurrency: लाइटकॉइन (Litecoin)
लाइटकॉइन (Litecoin) एक अन्य प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी (CryptoCurrency) है, जो बिटकॉइन के बाद विकसित की गई थी। इसे चार्ली ली (Charlie Lee) नामक व्यक्ति द्वारा 2011 में बिटकॉइन को मॉडिफाइ करके बनाया गया था। लाइटकॉइन का मुख्य उद्देश्य तेज और सस्ते वित्तीय लेन-देन को सुनिश्चित करना है।
लाइटकॉइन की महत्वपूर्ण विशेषताएँ:
1. स्क्रिप्ट: लाइटकॉइन नेटवर्क स्क्रिप्ट नामक एक क्रिप्टोग्राफिक हैश फ़ंक्शन का उपयोग करता है, जिससे उपयोगकर्ताओं के ट्रांजैक्शन्स को सत्यापित करता है।
2. फ़ास्ट ट्रांजेक्शन्स: लाइटकॉइन की ब्लॉक जनरेशन गति बिटकॉइन से तेज होती है, जिससे ट्रांजैक्शन्स की प्रोसेसिंग तेज होती है।
3. एसिक रेजिस्टेंट: लाइटकॉइन में बिटकॉइन के मुकाबले एसिक (एप्लीकेशन स्पेसिफिक इंटीग्रेटेड सर्किट) रेजिस्टेंट (विशेष उद्योग के लिए डिज़ाइन किए गए कम्प्यूटर चिप्स) का उपयोग कम किया जाता है, जिससे आम व्यक्तियों के लिए माइनिंग करना संभव रहता है।
4. कॉम्म्यूनिटी समर्थन: लाइटकॉइन की एक सक्रिय कॉम्म्यूनिटी है जिसने इसे विकसित करने में मदद की है और नए तकनीकी उन्नतियों को लागू किया है।
लाइटकॉइन बिटकॉइन के विकसित और परीक्षित प्रोटोकॉल का एक वैकल्पिक रूप माना जाता है, जो तेज और सस्ते ट्रांजैक्शन्स को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाया गया है।
