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Diabetes: डायबिटीज मरीज के शुगर लेवल बढ़ते ही पैरों में दिखने लगते हैं ये लक्षण

Diabetes एक क्रॉनिक डिजीज है जो जिंदगी भर रहती है. डायबिटीज की समस्या तब होती है जब किसी व्यक्ति के खून में ग्लूकोज का स्तर काफी ज्यादा होता है या इसे थोड़ा और सरल भाषा में समझें तो जब पैनक्रियाज (अग्नाशय) बिल्कुल भी इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता या बहुत कम मात्रा में करता है तब डायबिटीज की समस्या होती है. Diabetes मुख्य तौर पर दो तरह का होता है – टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज. 

टाइप 1 डायबिटीज में पैनक्रियाज बिल्कुल भी इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता. वहीं, टाइप 2 डायबिटीज में पैनक्रियाज काफी कम मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन करता है. एक और तरह के डायबिटीज को जेस्टेशनल Diabetes कहते हैं. जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होती है. इन तीनों तरह के Diabetes में सबसे कॉमन बात यह है कि इन तीनों में ही खून में ग्लूकोज की मात्रा काफी ज्यादा हो जाती है.

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डायबिटीज के चलते व्यक्ति को पैरों में दो तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जैसे, डायबिटिक न्यूरोपैथी और पेरीफेरल वस्कुलर डिजीज (पेरीफेरल धमनी रोग).

डायबिटिक न्यूरोपैथी में, अनियंत्रित डायबिटीज आपकी नसों को प्रभावित कर सकता है और नुकसान पहुंचा सकता है. जबकि, पेरीफेरल वस्कुलर डिजीज आपके ब्लड के फ्लो को प्रभावित करता है, जिससे पैरों में कई तरह के लक्षण नजर आते हैं. पैरों में नजर आने वाले डायबिटीज के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं-

डायबिटीज: दर्द, झनझनाहट और पैरों का सुन्न होना

डायबिटिक न्यूरोपैथी एक तरह का नर्व डैमेज होता है जो डायबिटीज के मरीजों में होता है. मेयो क्लिनिक के मुताबिक, डायबिटिक न्यूरोपैथी के चलते टांगों और पैरों की नसें डैमेज हो जाती हैं जिसके चलते टांगों, पैर और हाथ में दर्द और सुन्न पड़ने जैसे लक्षण नजर आते हैं. इसके अलावा इससे डाइजेस्टिव सिस्टम, यूरिनरी ट्रैक्ट, रक्त कोशिकाओं  और हृदय संबंधित दिक्कतें भी हो सकती हैं. हालांकि, कुछ लोगों में इसके लक्षण काफी हल्के नजर आते हैं जबकि कुछ में इसके लक्षण काफी दर्दनाक होते हैं.

पैर में अल्सर

आमतौर पर स्किन में दरार पड़ने या गहरा घाव बन जाने को अल्सर कहा जाता है. डायबिटिक फुट अल्सर एक खुला हुआ घाव होता है और Diabetes के 15 फीसदी मरीजों को इसका सामना करना पड़ता है. यह मुख्य रूप से पैर के तलवे में होता है. हल्के मामलों में, फुट अल्सर के कारण स्किन खराब हो जाती है लेकिन इसके गंभीर मामलों में शरीर के उस हिस्से को काटने तक की नौबत आ सकती है.  ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बचने के लिए शुरुआत से ही डायबिटीज के खतरे को कम करना काफी जरूरी है. 

एथलीट फुट (पैरों में दाद)

Diabetes के कारण नसों के डैमेज होने से एथलीट फुट समेत कई दिक्कतें बढ़ सकती है. एथलीट फुट एक फंगल इंफेक्शन होता है जिसके कारण पैरों में खुजली, रेडनेस, और दरार पड़ने की समस्या का सामना करना पड़ता है. यह एक या दोनों पैरों को प्रभावित कर सकता है. 

गांठ बनना या कॉर्न्स और कॉलस

Diabetes के चलते कॉर्न्स और कॉलस की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है.  कॉर्न्स या कॉलस तब होता है जब किसी जगह की त्वचा पर काफी ज्यादा दबाव या रगड़ पड़ती है तो वह त्वचा सख्त और मोटी होने लगती है.

पैर के नाखूनों में फंगल इंफेक्शन

डायबिटीज के मरीजों में नाखूनों में होने वाले फंगल इंफेक्शन का खतरा भी काफी ज्यादा होता है. इसे ऑनिकोमाइकोसिस के नाम से जाना जाता है जो आमतौर पर अंगूठे के नाखून को प्रभावित करता है. इस समस्या के चलते नाखूनों का रंग बदलने लगता है और वह काफी मोटे हो जाते हैं कुछ मामलों में नाखून अपने आप ही टूटने लगते हैं. कई बार नाखून में चोट लगने के कारण फंगल इंफेक्शन भी हो सकता है. 

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