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महालया (Mahalaya) 2022: मां दुर्गा के स्वागत से पहले क्यों मनाया जाता है महालया?

Mahalaya 2022: महालया यानि पितृ विसर्जनी अमावस्या. पितृ पक्ष की ये अमावस्या यूं तो पितरों को विदाई की तिथि है, लेकिन यह मां दुर्गा के आगमन का भी प्रतीक है क्योंकि पितरों के जाने के साथ ही मां दुर्गा का आगमन होता है. ऐसे में महालया अमावस्या को पितरों की विदाई व मां दुर्गा के आगमन का संधिकाल माना जाता है, जिसमें पितरों के पूजन व तर्पण का विशेष महत्व है. इस बार यह अमावस्या आज 25 सितंबर को है.

अज्ञात पितरों की तृप्ति का दिन
महालया या पितृ विसर्जन अमावस्या पितृ पक्ष में सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. इस दिन हम उन सभी पितरों को याद कर उनका श्राद्ध कर्म करते हैं, जिन्हें हम भूल गए या वे अज्ञात हैं.

महालया अमावस्या के मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:35 से शुरू होकर 5:23 बजे तक .
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:48 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक.
गोधुली मुहूर्त: शाम 6:02 बजे से शाम 6:26 बजे तक.
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:13 बजे से 3:01 बजे तक.

महालया के दिन मां दुर्गा के आगमन से पहले उनकी मूर्ति को अंतिम और निर्णायक रूप भी इसी दिन दिया जाता है.इसी दिन मां दुर्गा के पंडाल सज जाते हैं.

पितरों की प्रसन्नता के लिए इस दिन गीता के दूसरे व सातवें अध्याय का पाठ करने का विशेष महत्व बताया गया है. एक बर्तन में दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ लेकर पीपल की जड़ सींचने तथा कही- कहीं महिषासुरमर्दनी के पाठ का विधान भी इस दिन बताया गया है.

पितृ विसर्जनी अमावस्या पंचबलि व पापों के प्रायश्चित का दिन भी माना जाता है. इस दिन गोबलि, श्वानबलि, काकबलि और देवादिबलि कर्म किया जाता है. दैहिक संस्कार, पिण्डदान, तर्पण, श्राद्ध, एकादशाह, सपिण्डीकरण, अशौचादि निर्णय, कर्म विपाक आदि उपायों से पापों का भी प्रायश्चित किया जाता है.

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