भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने अत्याधुनिक और महत्वाकांक्षी SpaDeX (Space Docking Experiment) मिशन के लॉन्च वाहन को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा के पहले लॉन्च पैड पर पहुंचा दिया है। शनिवार को ISRO ने इस बात की पुष्टि करते हुए जानकारी दी कि लॉन्च वाहन का इंटीग्रेशन पूरा हो चुका है और अब सैटेलाइट्स के और इंटीग्रेशन और लॉन्च की तैयारी की जाएगी।
SpaDeX मिशन क्या है?
SpaDeX मिशन ISRO का एक कम लागत वाला तकनीकी मिशन है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में दो यानों के बीच डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक को विकसित और प्रदर्शित करना है। यह तकनीक भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जैसे:
- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का निर्माण और संचालन।
- चंद्रमा से नमूने वापस लाने वाले मिशन।
- मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन।
यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जिसने अंतरिक्ष में इस जटिल तकनीक में महारत हासिल की है।
कैसे काम करेगा SpaDeX मिशन?
स्पाडेक्स मिशन PSLV-C60 रॉकेट के जरिए 220 किलोग्राम वजनी दो छोटे यानों, SDX01 (चेसर) और SDX02 (टारगेट), को 470 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में भेजेगा।
- ये यान स्वतंत्र रूप से छोड़े जाएंगे।
- 66 दिनों के स्थानीय समय सर्कल में 55 डिग्री के झुकाव के साथ परिक्रमा करेंगे।
- इन यानों के बीच रॉन्डिवू, डॉकिंग और अनडॉकिंग प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जाएगा।
मिशन लॉन्च तैयारी
9 दिसंबर को ISRO ने PSLV-C59/Probas-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि दिसंबर में ही PSLV-C60 के जरिए स्पाडेक्स मिशन लॉन्च किया जाएगा। मिशन के तहत सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
क्यों है SpaDeX मिशन महत्वपूर्ण?
SpaDeX मिशन अंतरिक्ष में दो अलग-अलग यानों को जोड़ने और अलग करने की तकनीक को प्रदर्शित करेगा। यह तकनीक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के लिए आवश्यक है। इसके अलावा, भविष्य के मानवयुक्त मिशनों और चंद्रमा से सैंपल वापस लाने वाले अभियानों में भी यह बेहद सहायक होगी।
SpaDeX मिशन भारत के अंतरिक्ष अभियानों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का महत्वपूर्ण कदम है। अगर यह सफल होता है, तो भारत अंतरिक्ष तकनीक में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा मील का पत्थर हासिल करेगा।