तमिलनाडु सरकार ने विधानसभा में एक विधेयक पेश किया है, जिसमें प्रतिष्ठानों के लिए कर्मचारियों के लिए बैठने की सुविधा देना अनिवार्य कर दिया गया है। बैठने का अधिकार(Right to Sit) Right to Sit का उद्देश्य बड़े और छोटे प्रतिष्ठानों के हजारों कर्मचारियों को लाभ पहुंचाना है, खासकर टेक्सटाइल और ज्वेलरी शोरूम में काम करने वालों को।
राज्य में दुकानों और प्रतिष्ठानों में कार्यरत व्यक्तियों को अपनी ड्यूटी के दौरान खड़े रहने के लिए मजबूर किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। यह विधेयक प्रतिष्ठानों के प्रत्येक परिसर में सभी कर्मचारियों के बैठने की उपयुक्त व्यवस्था करने का आदेश देता है ताकि वे अपने काम के दौरान बैठने के किसी भी अवसर का लाभ उठा सकें। इससे काम के घंटों के दौरान ‘अपने पैर की उंगलियों’ पर रहने की स्थिति से बचा जा सकेगा।
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केरल से प्रेरित कुछ साल पहले, केरल में कपड़ा शोरूम के कर्मचारी ‘बैठने के अधिकार’ की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन पर गए थे, जिसके बाद वहां की सरकार ने 2018 में केरल की दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम में संशोधन किया। इसने बदले में उनके लिए बैठने की व्यवस्था प्रदान की।
दुकानों के अधिकांश मालिकों ने महिलाओं को बैठने के लिए मना किया। यहां तक कि एक दीवार के खिलाफ झुकने की भी सजा दी गई थी। उन्हें खड़े होने से असामान्य रूप से सूजन और जोड़ों में दर्द होता है। शौचालय के ब्रेक सख्ती से सीमित थे। इससे यूरिनरी इंफेक्शन, किडनी की समस्या हो गई है।
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