होमहरदोईश्रद्वा विश्वास के मिलन का प्रतीक है गौरीशंकर विवाह : आचार्य प्रकाश

श्रद्वा विश्वास के मिलन का प्रतीक है गौरीशंकर विवाह : आचार्य प्रकाश

पिहानी। जीवन के हर संशय का समाधान श्रीराम कथा करती है। रामचरित मानस में नौ दिन में नौ प्रश्न हैं। निर्गुण ब्रह्म सगुण कैसे हो गया, राम जन्म का कारण क्या है। प्रभु के बाल्यकाल की लीला, विवाह लीला, वनगमन लीला और राक्षसों के मारने का प्रयोजन। अयोध्या में रामराज्य अभिषेक और संतों का चरित्र। इन्हीं प्रश्नों के उत्तर नौ दिन में दिए जाते हैं। यह विचार अयोध्या से पधारे आचार्य प्रकाश चन्द्र महाराज ने रामकथा के अंतर्गत व्यक्त किये।

रामचरितमानस में शिव विवाह प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए मानस मर्मज्ञ ने कहा कि सती जी का दूसरा जन्म देवी पार्वती के रूप में हुआ। पार्वती जी की निष्ठा व कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने विवाह का वचन दिया। जीव जब सच्चे हृदय से प्रार्थना करते हैं, तो भगवान भी उसे सम्यक फल प्रदान करते हैं।

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें लखनऊ में असिस्टेंट टीचर और जूनियर क्लर्क के साथ विभिन्न पदों के लिए निकली भर्ती की अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें

भोगी की प्रारंभिक अवस्था सुखमय प्रतीत होती है, किंतु अंत अत्यंत दुखद होता है। इसके ठीक विपरीत योगी की साधना अवस्था कष्टप्रद होती है, किंतु अंत बड़ा सुखद होता है इसलिए कहा जाता है, अंत भला तो सब भला। शिव-पार्वती विवाह में भूत-प्रेतों को भी शामिल किया गया है, जो शिव की समता का दर्शन कराता है।

शिव पार्वती साक्षात शक्ति और शक्तिमान है। लीला मात्र के लिए ये दोनों अलग रूपों में नजर आते हैं, किंतु अर्ध नारीश्वर रूप में दोनों एक ही हैं। उन्होंने कहा,कि पार्वती जी हैं श्रद्धा, भगवान शंकर है विश्वास। दोनों का विवाह के माध्यम से मिलन ही मानो संकेत करता है कि जब तक साधक के हृदय में श्रद्धा रूपी पार्वती और विश्वास रूपी शिव का मिलन नहीं होगा तब तक उसके हृदय में श्री राम नाम की भक्ति का उदय नहीं हो सकता.

इसीलिए श्री राम जन्म से पूर्व श्री रामचरितमानस में शिव-पार्वती के विवाह का सुंदर वर्णन तुलसीदास जी ने किया है। शिव विवाह में भजन की प्रस्तुति को सुनकर श्रोता झूम उठे। उन्‍होंने कहा कि लाख कार्य छोड़कर भी कथा श्रवण का अवसर मिले तो कथा सुनना चाहिए। यह आयोजन 3 दिसम्बर तक प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से 5 बजे तक चलेगा।

श्रीराम बारात नगर भ्रमण 28 को

नगर स्थित माँ इच्छापूर्णी रामजानकी मंदिर में चल रहे श्री राम विवाह महोत्सव के अंतर्गत भगवान की मैरिज एनिवर्सरी अर्थात विवाह तिथि अगहन शुक्ल पक्ष पंचमी 28 नवंबर दिन सोमवार को प्रातः 10 बजे से नगर में निकाली जायेगी। यह जानकारी देते हुए आयोजक वैष्णव हरिशरण ने कहा, कि जिस तरह से हम अपनी मैरिज एनिवर्सरी खूब धूमधाम से मनाते हैं उसी तरह भगवान की भी मनायें। राम विवाह यश और मंगल का धाम है सभी लोग श्रद्वा पूर्वक रामबारात में सम्मिलित हों।

spot_img
- Advertisment -

ताज़ा ख़बरें