मकर संक्रांति का पावन पर्व मंगलवार को पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र में मनाया जाएगा। इस दिन गंगा स्नान और दान को अत्यधिक शुभ माना गया है। पद्मेश इंस्टीट्यूट ऑफ वैदिक साइंसेज के संस्थापक अध्यक्ष पंडित केए दुबे ने बताया कि मकर संक्रांति का शुभारंभ सुबह 8:55 बजे होगा। स्नान और दान के लिए उत्तम समय सुबह से दोपहर 3:19 बजे तक रहेगा।
इस अवधि में सूर्य दर्शन का विशेष महत्व बताया गया है। पंडित दुबे ने कहा कि मकर संक्रांति के साथ खरमास समाप्त हो जाएगा, सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करेगा, और शिशिर ऋतु का आरंभ होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भागीरथ के प्रयास से गंगा, गंगासागर में समाहित हुई थीं, जिससे उनके 60,000 पूर्वजों को पुनर्जीवन मिला था।
मकर संक्रांति पर स्नान के बाद सूर्य के दर्शन करने और 14 वस्तुएं दान करने की परंपरा है। भगवान को खिचड़ी अर्पित करने का भी विशेष महत्व बताया गया है।
मकर संक्रांति पर राशियों के अनुसार दान का महत्व
पंडित दुबे ने राशियों के अनुसार दान को शुभ फल देने वाला बताया। जानिए, किस राशि के जातक क्या दान करें:
- मेष राशि: 14 काले तिल के लड्डू, खिचड़ी, घी, ऊनी वस्त्र।
- वृष राशि: 14 श्वेत तिल के लड्डू, दूध की मिठाई, फल, वस्त्र।
- मिथुन राशि: 14 काले तिल के लड्डू, 14 फल, 14 वस्त्र।
- कर्क राशि: 14 काले तिल के लड्डू, 14 किलो खिचड़ी।
- सिंह राशि: 14 काले तिल के लड्डू, घी, वस्त्र, छाता।
- कन्या राशि: काले तिल का पदार्थ, खिचड़ी।
- तुला राशि: 14 काले तिल के लड्डू, खिचड़ी, 14 वस्त्र।
- वृश्चिक राशि: तिल के लड्डू या गजक, खिचड़ी, घी, पापड़, नमक।
- धनु राशि: तिल के पदार्थ, स्टील के बर्तन, खिचड़ी।
- मकर राशि: तिल के पदार्थ, खिचड़ी, घी, वस्त्र।
- कुंभ राशि: 14 तिल के लड्डू, खिचड़ी।
- मीन राशि: तिल के पदार्थ, खिचड़ी, घी, 14 शिक्षण वस्तुएं।
पंडित दुबे ने बताया कि यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि दान और परोपकार के माध्यम से समाज में सुख-शांति और समृद्धि लाने का अवसर भी है।
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