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ब्रह्मांड कैसे बना पता लगाना होगा आसान, भारतीय वैज्ञानिकों को 880 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर से मिला यह अनोखा रेडियो सिग्नल

दूर गैलेक्सी से भारतीय वैज्ञानिकों को एक सिग्नल मिला है. आपको बताते चलें कि अब तक अंतरिक्ष में इतनी दूर से कभी कोई सिग्नल नहीं मिला था.  खगोलविदों के अनुसार इस सिग्नल से यह पता लगाया जा सकता है कि हमारा ब्रह्मांड कैसे बना होगा.

इंडिया में जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (GMRT) को मिला रिकॉर्ड-ब्रेकिंग रेडियो फ्रीक्वेंसी सिग्नल, गैलेक्सी SDSSJ0826+5630 से आया था. वैज्ञानिकों ने बताया यह गैलेक्सी पृथ्वी से 880 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है. इसका अर्थ यह है कि ये सिग्नल वहां से तब निकला होगा, जब ब्रह्मांड की उम्र आज की उम्र की से एक तिहाई रही होगी. 

रेडियो सिग्नल, ब्रह्मांड के सबसे मौलिक तत्व न्यूट्रल हाइड्रोजन से निकली एक रेखा है. जब ब्रह्मांड बना, तब यह न्यूट्रल हाइड्रोजन पूरे ब्रह्मांड में कोहरे के रूप में मौजूद था. फिर न्यूट्रल हाइड्रोजन से शुरुआती तारे और आकाशगंगाएं बनीं. खगोलविदों ने लंबे समय तक न्यूट्रल हाइड्रोजन से आने वाले संकेतों की खोज की, ताकि यह पता लगे कि शुरुआती तारों में चमक कैसे आई, लेकिन ज्यादा दूरी के कारण उन सिग्नल का पता लगाना मुश्किल था. 

लेकिन अब, मंथली नोटिसिस ऑफ रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी (MNRAS) जर्नल में प्रकाशित नए शोध से पता चलता है कि गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के प्रभाव से वैज्ञानिकों को न्यूट्रल हाइड्रोजन के सबूत खोजने में मदद कर सकता है.

कनाडा में मैकगिल यूनिवर्सिटी के एक कॉस्मोलॉजिस्ट और लेखक अर्नब चक्रवर्ती ने बताया कि एक आकाशगंगा अलग-अलग तरह के रेडियो सिग्नल का उत्सर्जन करती है. अभी तक इस सिग्नल को पास की किसी आकाशगंगा से कैप्चर करना ही संभव था. जिससे हम सिर्फ उन्हीं आकाशगंगाओं तक सीमित थे जो पृथ्वी के समीप हैं.

ब्रह्मांड का डार्क ऐज (अंधकारमय युग)

ब्रह्मांड की जन्म के करीब 4 लाख साल बाद, जब प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन ने पहली बार न्यूट्रॉन से बॉन्ड बनाया था, तब शुरुआती तारों और आकाशगंगाओं के बनने से पहले, न्यूट्रल हाइड्रोजन तथाकथित अंधकारमय युग में शुरुआती ब्रह्मांड में भर गई थी. 

न्यूट्रल हाइड्रोजन 21 सेंटीमीटर की वेवलेंथ का उत्सर्जन करता है. लेकिन शुरुआती ब्रह्मांड का अध्ययन करने के लिए न्यूट्रल हाइड्रोजन सिग्नल का इस्तेमाल करना मुश्किल काम है, क्योंकि लंबी वेवलेंथ, कम-तीव्रता वाले सिग्नल अक्सर लंबी दूरियों में खो हो जाते हैं. अभी तक सबसे दूर 21 सेमी के हाइड्रोजन सिग्नल का पता चला था, जो 440 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर था.

ग्रेविटेशनल लेंसिंग से अतीत में झांका जा सकता है: निरूपम रॉय

पिछली दूरी से दोगुनी दूरी पर रेडिओ सिग्नल खोजने के लिए, शोधकर्ताओं ने ग्रैविटेशनल लेंसिंग प्रभाव की ओर रुख किया. भारतीय विज्ञान संस्थान में भौतिकी के एसोसिएट प्रोफेसर और शोध के सह-लेखक निरूपम रॉय का कहना है कि इस खास मामले में, लक्ष्य और ऑब्ज़रवर के बीच एक और विशाल पिंड, एक आकाशगंगा होने की वजह से सिग्नल मुड़ा हुआ है. शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इस तरीके से पता लग सकता है कि हमारा ब्रह्मांड कैसे बना और शुरुआती तारे कैसे चमके होंगे. 

Pradeep Pal
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प्रदीप पाल, पिछले छह सालों से डिजिटल मीडिया इंडस्ट्री में एक्टिव हैं. इस दौरान इन्होंने अलग-अलग कई न्यूज़ पोर्टल्स पर काम किया. मूल रूप से हरदोई के रहने वाले हैं. बिजनेस के साथ ही राजनीति, शिक्षा, मनोरंजन, लाइफस्टाइल और सरकारी योजनाओं की खबरों में ख़ास रूचि है.
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