अयोध्या: डॉक्यूमेंट्री हिंदी फिल्म काली को लेकर विरोध के स्वर लगातार मुखर हो रहे हैं। साधु संतो सहित हिंदू संगठनों ने इस फिल्म पर आपत्ति तो जताई ही है। वहीं अयोध्या के मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों ने भी ऐसे कृत्य को शर्मनाक बताया है। उनका कहना है कि हिन्दू हो या मुस्लिम समाज किसी भी धर्म के प्रति इस प्रकार के कृत्य स्वीकार नहीं होंगे और सरकार से कार्रवाई की मांग की है।
बाबरी के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने ऐसे लोगों को चौराहे पर फांसी देने की मांग की है। इकबाल अंसारी ने कहा कि सवाल हमारे देश का है और देश में देवी-देवताओं को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया। उस जमाने में सिगरेट थी भी नहीं जो आज दिखाया जा रहा है। काली जी पूजनीय हैं। इस तरीके से धार्मिक भावनाओं को जो लोग ठेस पहुंचा रहे हैं। ऐसे लोगों पर सरकार कड़ी से कड़ी करवाई करें।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि देवी-देवताओं पर टिप्पणी न की जाए न ही गलत रूप में दिखाया जाए। हम मुसलमान हैं लेकिन हिंदू देवी-देवताओं का सम्मान करते हैं। कहा कि जिस तरीके से काली जी को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया है। हमारा संत समाज और हिंदू मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग यह मांग करते हैं कि सरकार के पास जो सजा हो चाहे व फांसी हो या उम्रकैद उनको दिया जाए या ऐसी सजा दी जाए जिससे लोग किसी भी धर्म को लेकर टिप्पणी ना कर सकें।
अंसारी ने कहा कि सरकार के पास फांसी और सिर काटने की भी सजा है। वहीं, कट्टर पंथियों के निशाने पर रहने वाले राम मंदिर समर्थक बबलू खान ने भी काली फ़िल्म के पोस्टर पर सवाल उठाया। कहा सभी धर्म के देवी-देवताओं का सम्मान करना हमारा फर्ज है। किसी भी धर्म के देवी-देवता का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
काली फिल्म का पोस्टर देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुनियोजित तरीके से यह फिल्म बनाई जा रही है ताकि देश का माहौल खराब हो। सरकार को इस फिल्म पर बैन लगाते हुए फिल्म के निर्माता निर्देशक को कठोर से कठोर सजा देनी चाहिए।
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