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झुलसा रोग: आलू की फसल में अगेती झुलसा रोग से कैसे करे बचाव?

झुलसा रोग: उप निदेशक कृिष डॉ0 नन्द किशोर ने जनपद के किसानों से कहा है कि इस समय तापमान में कमी एवं आर्द्रता को देखते हुए विभिन्न फसलों में कीट/रोगों के प्रकोप की संभावना बढ़ गयी है, जिनके नियंत्रण हेतु निम्न उपाय अपनायें जाने चाहिए-आलू की फसल में अगेती झुलसा रोग लगने की संभावना है।

झुलसा रोग के नियंत्रण हेतु कॉपरऑक्सीक्लोराइड 50 प्रति0 डब्ल्यू0पी0 की 2.50-3000 कि०ग्रा० मात्रा 800-1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। राई/सरसों की फसल में आल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग लगने की संभावना है।



झुलसा रोग में पत्तियों तथा फलियों पर गहरे कत्थई रंग के धब्बे बनते हैं जो गोल छल्ले के रूप में पत्तियों पर स्पष्ट दिखाई देते हैं तीव्र प्रकोप की दशा में धब्बे आपस में मिल जाते हैं जिससे पूरी पत्ती झुलस जाती है। इसके नियंत्रघ हेतु मैकोजेब 75 प्रति0 डब्ल्यू०पी० अथवा जिनेब 75 प्रति० डब्ल्यू०पी० की 2.00 कि०ग्रा० मात्रा को 600-700 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

मटर की फसल में झुलसा रोग से कैसे करे बचाव

मटर की फसल में पाउड्री मिल्डयू (चूर्णिल आसिता) रोग के प्रकोप होने पर कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिव डब्ल्यू0पी की 250-300 ग्राम मात्रा को 600-700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। गेहूं की फसल में गेहूँसा एवं जंगलीजई नामक खरपतवारों के नियंत्रण हेतु सल्फोसल्फ्यूरान 75 प्रति० डब्ल्यू०पी० की 33 ग्राम मात्रा को 300-400 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई के 20-25 दिन बाद प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें छिड़काव के समय फ्लैटफैन नोंजिल का प्रयोग करें।

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चौड़ी पत्ती के खरपतवार जैसे बथुआ, सेंजी, कृश्णनील, चटरी- मटरी एवं जंगली गाजर आदि के नियंत्रण हेतु 2-4 डी एमाइन साल्ट 58 प्रति0 एस0एल0 की 1.25 लीटर मात्रा को 500-600 लीटर पानी में मिलाकर बुवाई 25-30 दिन बाद प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें अथवा मैट सल्फ्यूरान ईथाइल 20 प्रति० डब्ल्यू०पी० की 20 ग्राम मात्रा को 500-600 ली0 पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर कर दर से छिड़काव करें।

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