Hardoi News: जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह और भारतीय किसान यूनियन (टिकैत गुट) के प्रतिनिधि मंडल के बीच गुरुवार को चकबंदी विवाद को लेकर बैठक हुई। यह बैठक 64 दिनों से चल रहे किसानों के धरना प्रदर्शन के बाद हुई, जिसे पुलिस ने हाल ही में बलपूर्वक समाप्त करवा दिया था। टेनी गांव में चकबंदी प्रक्रिया के खिलाफ किसान विरोध कर रहे थे, जिसे लेकर यह वार्ता आयोजित की गई थी।
चकबंदी प्रक्रिया निरस्त करने की मांग
बैठक के दौरान किसानों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने चकबंदी प्रक्रिया को थोपने का काम किया है, जिससे गांव में गुटबंदी और विवाद की स्थिति पैदा हो गई है। किसानों ने धारा 6 के अनुपालन का हवाला देते हुए कहा कि 70 प्रतिशत किसान चकबंदी प्रक्रिया के निरस्तीकरण के पक्ष में हैं। उनका कहना था कि अधिकारियों द्वारा किसानों का लगातार शोषण किया जा रहा है।
जबरन कार्रवाई का आरोप
बैठक के बाद संगठन के लखनऊ मंडल मंत्री ने प्रेस नोट जारी करते हुए बताया कि वार्ता विफल रही। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने शांति पूर्वक चल रहे धरने को बलपूर्वक खत्म किया और इस मामले पर चर्चा करने से इनकार कर दिया।
डीएम की हिदायत
जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने बैठक के दौरान चकबंदी अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे गांव में जाकर किसानों की समस्याओं का समाधान करें और 15 दिनों के भीतर उन्हें संतुष्ट करें। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसानों की कोई शिकायत आती है, तो वे स्वयं गांव में जाकर स्थिति की जांच करेंगे।
संगठन मंत्री ने उठाए सवाल
प्रदेश संगठन मंत्री श्यामू शुक्ला ने प्रशासन पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि चकबंदी प्रक्रिया से गांवों में जनहानि की संभावना बढ़ती है, तो इसे थोपना अनुचित है। उन्होंने चेतावनी दी कि किसान और किसान संगठन इस प्रकार की प्रक्रिया का विरोध जारी रखेंगे।
किसानों का कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे। वहीं, प्रशासन ने समाधान के लिए 15 दिन का समय मांगा है। अब देखना यह होगा कि इस विवाद का हल कैसे निकलता है।
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