वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी केस में शुक्रवार को जिला अदालत का बड़ा आदेश आया। अदालत ने ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग खारिज कर दी । इसके बाद हिंदू पक्ष ने हाई कोर्ट जाने का फैसला लिया है. हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि हम हाईकोर्ट में जाएंगे. मामले की अगली सुनवाई 17 अक्तूबर को होगी।
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अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में यदि कार्बन डेटिंग तकनीक का प्रयोग करने पर उक्त कथित शिवलिंग को क्षति पहुंचती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के 17 मई के आदेश का उल्लंघन होगा इसके अलावा ऐसा होने पर आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है.
अदालत ने कहा कि भारतीय पुरातत्व को सर्वे के लिए निर्देशित करना उचित नहीं होगा और ऐसा आदेश देने से इस वाद में निहित प्रश्नों के न्यायपूर्ण समाधान की कोई संभावना प्रतीत नहीं होती है. इसलिए इस प्रार्थना प्रत्र को खारिज किया जाता है
कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा कि जिला जज के फैसले को वो हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।
12 अक्तूबर को सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया ने अपना पक्ष रखा फिर वादिनी संख्या 2 से 5 तक के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने प्रति उत्तर में हिंदू पक्ष की दलीलें पेश की। जबकि वादिनी संख्या एक के अधिवक्ता मान बहादुर सिंह ने कोई भी दलील देने से इनकार कर दिया तब अदालत ने आदेश के लिए 14 अक्तूबर की तिथि नियत कर दी।
आपको बताते चलें कि अगस्त 2021 में पांच हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर के अंगर श्रृंगार गौरी देवता की पूजा करने के अधिकार की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था. इसके बाद, वाराणसी जिला अदालत ने मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था. इस दौरान हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि वज़ूखाना के पास एक शिवलिंग पाया गया था.
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