Bareilly News: बरेली की डेलापीर फल मंडी में बृहस्पतिवार रात को भीषण आग लगने से 28 दुकानें जलकर राख हो गईं। आग की चपेट में आई दुकानों के मालिक ज्यादातर फलों के आढ़ती थे, जो मंडल के कई शहरों और कस्बों में फलों की आपूर्ति करते थे। हर दुकान में करीब दो-दो सौ क्रेट फल रखे हुए थे।
इस आग से सबसे ज्यादा नुकसान कीवी और खजूर के थोक विक्रेताओं को हुआ, जिनमें प्रमुख नाम सुभान अली और मेहंदी के हैं। उन्होंने बताया कि कीवी की पूरी खेप नष्ट हो गई। सेब, नारियल और पपीता के आढ़तियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा। व्यापारियों के मुताबिक, आग से करीब पांच करोड़ रुपये के फल जलकर नष्ट हो गए।
बही-खाते भी हुए राख
घटना की जानकारी मिलने पर फ्रूट एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद आफताब रात करीब साढ़े 11 बजे मौके पर पहुंचे और व्यापारियों से नुकसान का आकलन किया। उन्होंने बताया कि ब्लॉक सी की 28 दुकानों में 42 व्यापारियों का माल रखा था, जो पूरी तरह जलकर नष्ट हो गया। कई व्यापारियों के बही-खाते भी आग की भेंट चढ़ गए। जिन फर्मों का पूरा माल नष्ट हुआ उनमें हरदीप सिंह, मोहम्मद मियां, ताज फ्रूट कंपनी, नेहा फ्रूट, चांद फ्रूट, डीएफसी कंपनी और मेराज फ्रूट शामिल हैं।
व्यापारियों में गुस्सा, दमकल टीम पर सवाल
आढ़तियों में इस घटना से गहरा सदमा और गुस्सा था। कई व्यापारियों ने दमकल टीम के देर से पहुंचने पर नाराजगी जताई। व्यापारियों का कहना था कि मंडी में आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे, और मंडी की अव्यवस्थाओं के कारण यह हादसा और बढ़ गया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि पानी पास के एयरफोर्स स्टेशन या अन्य कस्बों से मंगवाया जा सकता था ताकि आग बुझाई जा सके।
मंडी के ओवरहेड टैंक का मोटर भी पिछले डेढ़ साल से खराब है। व्यापारियों ने यह भी शंका जताई कि मंडी में नशेड़ियों की आवाजाही को रोकने में विफल प्रशासन की लापरवाही के कारण आग लगने की घटना हो सकती है।
दमकल अधिकारी का दावा
दमकल अधिकारी (एफएसओ) संजीव कुमार ने टीम के देर से पहुंचने के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने बताया कि सूचना मिलते ही दमकल टीम तुरंत मौके पर पहुंची और आग बुझाने में जुट गई। आग पर काबू पाने में सफलता भी मिली, हालांकि आग लगने के कारण की जांच के बाद ही स्पष्टता आ सकेगी।
सिलिंडर धमाकों से चटके दुकानों के लिंटर
आग बुझाने के दौरान अग्निशमन कर्मियों को कई बार अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ी। धमाकों की आवाज से बार-बार आग भड़क रही थी। बाद में पता चला कि मजदूरों के छोटे एलपीजी सिलिंडर फट रहे थे, जिससे आग और भी विकराल हो गई। आग की तीव्रता से सात दुकानों के लिंटर भी चटक गए, जिससे वहां मौजूद दुकानदार और अन्य लोग बार-बार दहशत में आ रहे थे।
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