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कैसे महिला के झूठे केस में एक बेक़सूर युवक ने काटी 3.5 साल की जेल, फिर सामने आया सच

कानपुर: 45 साल की विधवा से झूठे दुष्कर्म के आरोप में एक बेक़सूर युवक को करीब साढ़े तीन साल जेल में रहना पड़ा। युवक का जुर्म सिर्फ इतना था कि वह उसकी बेटी से शादी करना चाहता था बस यही बात उसको और उसके भाइयों को नागवार गुजरी और युवक को जेल भिजवाने के लिए ही मां ने भाइयों के कहने पर झूठी रिपोर्ट लिखा दी और बाद में कोर्ट में अपने बयान से मुकर गई।

इस पर फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज हरेंद्र कुमार ओझा ने आरोपी को दोषमुक्त कर दिया। वहीं, झूठी रिपोर्ट लिखाने वाली महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश भी दिया है।

मिली जानकारी के अनुसार कल्याणपुर के ग्राम बारा सिरोही निवासी एक महिला ने आठ जून 2019 को कल्याणपुर थाने में तहरीर दी थी। इसमें गांव के शिवमंगल के खिलाफ दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। महिला ने आरोप लगाया था कि सात जून की रात वह पास के जंगल में शौच के लिए गई थी। तभी शिवमंगल ने उसे दबोच लिया और जबरदस्ती दुष्कर्म किया।

महिला ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि गुप्तांग में कोई चीज भी डाल दी थी जिससे वह दर्द से बेहोश हो गयी और शिवमंगल फरार हो गया था। पुलिस ने शिवमंगल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और चार्जशीट कोर्ट में भेज दी गई। मुकदमे में अभियोजन की ओर से पीड़िता समेत पांच गवाह कोर्ट में पेश किए गए।

बेक़सूर को जेल भेजने के लिए दर्ज करवाई झूठी रिपोर्ट

यहां महिला ने बयान में कहा कि 13 साल पहले उसके पति की मौत हो चुकी थी। उसके चार बच्चे भी हैं। शिवमंगल उसकी बड़ी बेटी से शादी करना चाहता था लेकिन उसके भाइयों ने उसकी बेटी की शादी दूसरी जगह कर दी और शिवमंगल को जेल भेजने के लिए उससे झूठी रिपोर्ट दर्ज करवा दी।

साढ़े तीन साल से जेल में रहा बेक़सूर

महिला ने गवाही के समय कोर्ट से कहा कि शिवमंगल बेक़सूर है उसने कोई गलत काम नहीं किया। उसने भाइयों के कहने पर झूठी रिपोर्ट लिखाई थी। इधर बेक़सूर होकर भी शिवमंगल साढ़े तीन साल से जेल में बंद था। गरीबी के कारण वह मुकदमा लड़ने के लिए वकील तक का इंतजाम नहीं कर सका, जिस पर अदालत ने शिवमंगल की पैरवी के लिए न्यायमित्र मधु अवस्थी को नियुक्त किया था।

मधु ने शिवमंगल की ओर से कोर्ट में झूठा फंसाए जाने की पैरवी की। उहोने कोर्ट में तर्क रखा कि पीड़िता का मेडिकल भी 17 दिन बाद हुआ था और इसके बाद ही मजिस्ट्रेट के सामने बयान हुए हैं। घटना का कोई चश्मदीद गवाह भी नहीं था। उसके बाद महिला ने खुद मान लिया कि शिवमंगल बेक़सूर है उसने उसके साथ कुछ भी गलत नहीं किया था. इन्हीं आधारों पर कोर्ट ने शिवमंगल को बरी कर दिया और झूठी गवाही देने पर महिला के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश कर दिए।

न्याय मित्र मधु अवस्थी ने कहा अदालत में पेशी पर आए शिवमंगल का दर्द सुना और बेक़सूर को इंसाफ दिलाने के लिए कोर्ट में मजबूत पैरवी की। घटना का सच कोर्ट के सामने आने पर शिवमंगल, तो बरी हुआ ही अब पीड़ित बनकर बेकसूर को जेल भिजवाने वाली महिला को भी सजा भुगतनी होगी। 

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