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“जाको राखे सैयां मार सके ना कोई” 100 किमी तक गंगा नदी में बहकर आई वृद्धा, फिर भी जिन्दा

चंदौली/मिर्जापुर: अलीनगर थाना क्षेत्र के कैली गांव के निकट ब्रहस्पतिवार को गंगा में बहटी हुए वृद्धा को मल्लाहों ने मृत समझकर बाहर निकाला और निकलने के बाद इसकी सूचना पुलिस को दी। इसी दौरान वृद्धा के हाथों में हलचल हुयी, जिस पर ग्रामीणों ने 108 नंबर कॉल कर एंबुलेंस की मदद से उन्हें उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उनकी हालत गंभीर देख डाक्टरों ने बीएचयू के लिए रेफर कर दिया।

अलीनगर थाना क्षेत्र के कैली गांव के निकट गुरुवार को सुबह कुछ लोग स्नान कर रहे थे। किनारे खड़े मल्लाहों ने सुबह गंगा में बहती एक वृद्धा को मृत समझकर गंगा से निकाल लिया और वही लिटा दिया। सबको यही लग रहा था कि वृद्धा की मौत हो चुुकी है। इसी दौरान वृद्धा हाथ पैर हिलाने लगी तो गांव वाले चौक गए। लोगों ने तुरंत इसकी सूचना अलीनगर थाने और 108 नंबर एंबुलेंस को दी।

अलीनगर थाने से कांस्टेबल नीरज कुमार वृद्धा को भोगवारे सीएचसी ले गए। जहां से डॉक्टरों ने जिला अस्पताल चंदौली रेफर कर दिया। वृद्धा की गंभीर हालत देखते हुए प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने उसे वाराणसी के ट्रामा सेंटर मेेें रेफर कर दिया।

वृद्धा को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया। ट्रामा सेंटर में महिला थोड़ी होश में आई। कांस्टेबल नीरज ने बताया कि वृद्धा ने किसी तरह अपने बारे में बताया। उन्होंने बताया कि वह मिर्जापुर जनपद के जिगना थाना अंतर्गत कोल्हेपुर गांव निवासी संती देवी और उनकी उम्र 65 वर्ष है।

वह बुधवार को इलाहाबाद बैंक हरगढ़ में पैसा निकालने के लिए लगभग तीन बजे घर से निकली थी। गंगा में कैसे पहुंची यह यह उन्होंने नहीं बता पाया। कांस्टेबल नीरज ने बताया कि वृद्धा ने जो पता बताया वहां के थाने पर संपर्क किया तो पता चला कि वृद्धा के परिजन उनको बुधवार से तलाश रहे थे।

सूचना के बाद वृद्धा का पोता विनय कुमार वाराणसी के ट्रामा सेंटर पहुंचा और कांस्टेबल नीरज ने उसे वृद्धा को सुपुर्द कर दिया। ट्रामा सेंटर में वृद्धा का इलाज चल रहा है।

गंगा में सौ किमी के बहने के बाद भी सांसों ने नहीं छोड़ा साथ

वृद्धा संती देवी ने जब बताया कि वह बुधवार को मिर्जापुर के एक बैंक गई थी। वह गंगा में कैसे गिरी या पहुंची वह यह नहीं बता पा रही है।

सोचने वाली बात यह है कि मिर्जापुर से चंदौली की दूरी 100 किमी से भी ज्यादा है। अगर वृद्धा मिर्जापुर में गंगा में गिरी होगी तो कैली घाट तक पहुँचने के लिए कम से कम 12 घंटे का समय लगेगा, आश्चर्य की बात यह है कि गंगा में पूरे 12 घंटे तक उसकी सांसें कैसे चलती रहीं।

इस बात को लेकर कैली गांव का हर शख्स आपस में चर्चा कर रहा। मल्लाहों ने बताया कि नदी में गिरने के बाद अगर व्यक्ति तैरना नहीं जानता तो वह पहले नीचे जाता है। जब उसकी मौत हो जाती है तब शव ऊपर आता है। महिला का शव पानी के ऊपर था और उसकी सांसें भी सौ किमी गंगा में सफर करने के बाद चल रही थीं। यह गांव वालों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है। गाँव वाले आपस में चर्चा कर रहे है और कह रहे है, “जाको राखे सैयां मार सके ना कोई”

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