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महफ़िल-ए-मुशायरा का हुआ आयोजन

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पिहानी(हरदोई) मनीष सविता
अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू की ओर से हाजी वसीउल्लाह अर्शी पिहानवी के आवास पर देश के मशहूर शायर जमील खैराबादी के सम्मान में महफ़िल ए मुशायरा का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जमील खैराबादी ने कोरोना काल में दुनिया से चले गए शायरों, कवियों व अदीबों को याद करते हुए उनके निधन को उर्दू दुनिया का नुकसान बताया। उन्होंने छोटे छोटे कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह की महफिलें उर्दू के प्रचार प्रसार का सशक्त माध्यम होती हैं। कार्यक्रम की शुरुआत कामिल अमान ने नात पाक से की। जमील खैराबादी ने शेर पढ़ा – चरागों को खूं हम पिलाने लगे हैं, अंधेरों तुम्हारा ज़वाल आ गया है। उस्ताद शायर अर्शी पिहानवी को इस शेर पर दाद ओ तहसीन से नवाजा गया – अना को कत्ल कर डालो हमारी, सितम ढाने में आसानी रहेगी। अंजुमन के जिलाध्यक्ष व मशहूर शायर सलमान जफर ने इस शेर पर तारीफें पाईं – अब आँखें खोल ए गाफिल मुसाफिर, तेरी कश्ती में पानी आ गया है। जमाल शाहनवाज़ ने पढ़ा – वह झूठ बोलता है तो हंसते नहीं हैं हम, ऐसा नहीं कि झूठ समझते नहीं हैं हम। बेकल पिहानवी ने सुनाया – बड़े सलीके से वो मुझपे वार करता है, सितम तो यह है कि बार बार करता है। कामिल अमान ने यह शेर सुनाया – खोखली हो चुकी सियासत अब, फिर नया इन्क़लाब हम देंगे।
इसके अलावा आरजू पिहानवी, फरीद कैफ़ी, मास्टर साजिद खां, महफुजूल हक व नईम खां आदि ने भी कलाम पेश किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अर्शी पिहानवी ने की। संचालन फरीद कैफी ने किया।
इस मौके पर पूर्व पालिकाध्यक्ष हाजी डॉ. सईद खां, लियाकत हुसैन देहलवी, हफीज मंसूरी, डॉ. एमएस जफर, डॉ. रिजवान, शमीम सिद्दीकी, हाजी नाजिम खां, इमरान कुरैशी, वाहिद खां, जुबैर खां, वसीम कुरैशी, अतीक मंसूरी, उमाकांत सिंह, शुऐब खां आदि मौजूद रहे। अंत में जुनैद इकबाल ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

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