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किसान महापंचायत:बोले भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत, पीएम और सीएम बाहरी, इन्हें यूपी से जाना होगा

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सिर पर टोपी हरी, हाथ में किसी के सफेद झंडा तो किसी के लाल और हरा। संगठन भी एक नहीं, बल्कि अनेक। कोई यूपी से तो कोई हरियाणा और पंजाब से। यहां तक कि पश्चिम बंगाल से भी लोग पहुंचे। हर प्रदेश के किसान अपनी संस्कृति के अनुरूप वेशभूषा में थे। पंचायत स्थल पर दूर तक यही नजारा था, जिससे भांति भांति के रंग के झंडों से पटा सैलाब नजर आ रहा था। बावजूद सबकी जुबां पर एक ही बात थी, कृषि कानूनों को वापस लो।

रविवार को मुजफ्फरनगर में राजकीय इंटर कॉलेज (जीआईसी) के मैदान पर महापंचायत में किसानों के बीच एक लघु भारत सिमट आया। जितने लोग जीआईसी के मैदान पर करीब उतने ही बाहर सड़क पर आ जा रहे थे। इनमें जोश देखते ही बन रहा था।

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किसानों के जत्थे अपनी अलग वेशभूषा में भी थे। भाकियू उग्राहू की महिलाएं पीले रंग का दुपट्टा ओढ़कर पहुंची, जिनके हाथों में झंडे भी हरे और पीले रंग के थे। इन महिलाओं में बलजीत कौर, अमरजीत कौर संगरूर (पंजाब) से करीब 80 महिलाओं के साथ पहुंची।

पश्चिम बंगाल से ऑल इंडिया किसान सभा के सच्चिदानंद कंडारी, सोमनाथ सिंह, राजूब अली और श्यामलाल आदि लाल झंडा और बैनर लेकर पहुंचे। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में धान, आलू और जूट की फसल ज्यादा होती है, लेकिन वाजिब दाम नहीं मिलता, कट मनी का खेल पूरे प्रदेश में चलता है, जिस कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं।

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इसी तरह मध्य प्रदेश के सतना जिले से श्रीकांत द्विवेदी रामजीत रीवा आदि करीब 500 लोग पहुंचे, जिनका कहना था कि कृषि कानूनों के विरोध में सात माह से तहसील रामपुर में धरना दे रहे हैं। आज पूरे देश का किसान तीनों कानूनों के खिलाफ है, सरकार को किसानों की बात माननी होगी। क्रांतिकारी संगठन की सुखविंदर कौर ने बताया कि करीब 500 महिलाएं पटियाला से इस संगठन की आई हैं, जो हरा दुपट्टा ओढ़कर पहुंची। इस तरह से महापंचायत स्थल पर झंडे, कपड़ों और बैनर में रंगों का समावेश था, लेकिन मुद्दा सभी का एक था कि कृषि कानूनों को सरकार थोप रही है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बाहरी हैं, इन्हें यूपी से जाना ही होगा:चौधरी राकेश टिकैत

संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य एवं भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बाहरी हैं, इन्हें यूपी से जाना ही होगा। सरकार को वोट की चोट देनी होगी। उन्होंने किसानों को जब तक फसलों के दाम नहीं वोट नहीं का नारा दिया। पहली जनवरी से किसान अपनी फसलें दोगुने दाम पर बेचेेंगे।

महापंचायत में राकेश टिकैत ने कहा कि गन्ना किसानों को 450 रुपये प्रति क्विंटल का भाव, एमएसपी पर गारंटी का कानून और तीन कृषि कानून वापस चाहिए। सरकार ने 2022 में फसलों के दाम और किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात कही थी, तीन महीने का समय शेष है। किसान फसलें दोगुने दाम पर ही बेचेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा देश को बचाने का मिशन शुरू करेगा। आंदोलन में 650 किसान शहीद हुए, लेकिन पीएम ने मौन तक धारण नहीं किया। किसानों को देश की संपत्ति और संस्थाओं को बेचने वालों की पहचान करनी होगी। आंदोलन 14 करोड़ बेरोजगारों युवाओं के कंधों पर है।

रेल, हवाई जहाज, हवाई अड्डे, बिजली, सड़क, एलआईसी, एफसीआई, जल, बंदरगाह को बेचा जा रहा है। सरकार की नीति भारत बिकाऊ है की है। उन्होंने एलान किया कि कृषि कानून वापस होने तक मुजफ्फरनगर की जमीन पर पैर नहीं रखेेंगे।

शिक्षकों के बराबर हो पुलिसकर्मियों की सैलरी
भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि पुलिसकर्मियों की सैलरी भी प्राइमरी के शिक्षक की बराबर होनी चाहिए। कर्मचारियों को पेंशन मिलनी चाहिए।

टिकैत ने मोदी, शाह और योगी पर साधा निशाना
भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने महापंचायत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा। टिकैत ने कहा कि मोदी उत्तराखंड से जीत कर पीएम बन जाएं, ऐतराज नहीं। गुजरात में गुंडागर्दी के दम पर जीतकर प्रधानमंत्री बनें, कोई एतराज नहीं, लेकिन इन्हें यूपी से जाना होगा। उन्होंने भाजपा नेताओं पर दंगा कराने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि देश में शांति के लिए सभी को मिलजुलकर चलने की जरूरत है।

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