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शुभ विचार: भगवान ने सब को एक जैसा बनाया है तो हर अच्छाई के रास्ते में क्यों नहीं चलते?

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*भगवान ने किसी को भी एक जैसा नहीं बनाया हमारे हाथ की 10 उंगलियां बराबर नहीं। किसी के हाथ के निशान दूसरे से नहीं मिलते हमारी आंखों की पुतलियां भिन्न भिन्न है। एक जैसे दिखने वाले इंसानो में बड़ी भिन्नताएं है। कोई नर पिशाच है,कोई नर पशु,तो कोई मानव है कोई महामानव, कोई देव मानव कोई तो इस यात्रा को करते हुए परम ब्रह्म परमात्मा से एकाकार हो जाता है।सब इंसान अच्छे रास्ते पर चल ही नही सकते।#नाथ पुराण निगम अस कहहीं। सुमति कुमति सब कें उर रहही। जहां सुमति तहां संपत्ति नाना। जहां कुमति तहं बिपति निदाना।# भगवान ने सब को एक जैसा तो नहीं बनाया किंतु विशेष अवश्य बनाया है प्रत्येक मनुष्य में छिपी हुई अद्भुत क्षमता क्षमताएं समाहित है। क्षमताओं का विकास करके हम स्वयं को श्रेष्ठ बना सकते हैं। चिंतन और विचारों में उत्कृष्टता ला करके आत्म परिष्कार कर सकते हैं। हमारा परमात्मा इस सृष्टि का स्वामी है। वो परमात्मा ने हमें अपने ही समान अद्भुत क्षमताओं का स्वामी बनाकर इस पृथ्वी पर भेजा है। किंतु हमें विवेक देकर इस बात के लिए स्वतंत्र कर दिया है कि हम अपने भाग्य का लेखन स्वयं करें। हमारे भाग्य को जन्म के पश्चात एक कोरा कागज बनाकर भगवान ने हमें सौंप दिया है और उसकी जिम्मेदारी हमारी है। भगवान ने हमें उन अद्भुत शक्तियों को छिपाकर इसलिए दिया है कि यदि पात्रता विकसित नहीं हुई तो रावण की भांति हम अपनी क्षमताओं को निर्माण और सृजन के बजाय विनाश में लगा देंगे। एक माचिस की तीली की भांति एक शक्तिशाली मनुष्य ही इस सारी सृष्टि के विनाश के लिए काफी है। कलिकाल के प्रभाव से हमारी तो पूरी सभ्यता ही विनाश का पोषण कर रही है। प्रकृति से छेड़छाड़ और रिश्तो को संवेदना को महत्वहीन बनाना यह दो ऐसे अवगुण हैं जिसने हमें स्वयं हमारा ही दुश्मन बना दिया है। इसलिए हमें अपनी शक्तियों को सप्रयास जागृत करना होगा साथ यह संकल्प लेना होगा हम उन शक्तियों का सदुपयोग मानव मानव हित में करेंगे।#भला कर भला होगा बुरा कर बुरा होगा नेकी और बदी का वंदे यही फैसला होगा#। #जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी#। #सकल पदारथ है जग माही कर्म हीन नर पावत नाही# आदि आदि तमाम दोहे श्लोकों के माध्यम से हमें कर्म वाद की ओर प्रेरित किया गया है।गीता में स्वयं भगवान कृष्ण ने सद्कर्मो का सद्ज्ञान दिया है।

प्रियंक दीक्षित,प्रमुख ट्रस्टी माता भगवती ट्रस्ट पिहानी हरदोई

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