इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुनवाई पर SBI को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने SBI को कल यानि कि 12 मार्च तक ही इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी पूरी डिटेल देने का आदेश दिया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान SBI की ओर से पेश हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे ने पूरी जानकारी देने के लिए 30 जून तक का समय मांगा.
साल्वे ने सुनवाई के दौरान कहा कि इसके अलावा राजनीतिक दलों का विवरण, पार्टियों को कितने इलेक्टोरल बॉन्ड मिले यह जानकारी भी देना है, लेकिन समस्या यह है कि जानकारी को निकालने के लिए एक पूरी प्रक्रिया को उलटना पड़ेगा.
SOP के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के खरीदार और बॉन्ड की जानकारी के बीच कोई संबंध ना रखा जाए. हमें यह बताया गया था कि इसे गुप्त रखना है. बॉन्ड खरीदने वाले का नाम और खरीदने की तारीख कोड की गई है, जिसे डिकोड करने में समय लगेगा.
इलेक्टोरल बॉन्ड की दोनों डीटेल्स एक जगह तो परेशानी कहां?: सुप्रीम कोर्ट
SBI की याचिका पढ़ते हुए CJI ने कहा,’ आवेदन में आपने (स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया) कहा है कि सभी जानकारी सील करके SBI की मुख्य शाखा मुंबई भेज दी गई. मुख्य शाखा में ही भुगतान की पर्चियां भी भेजी गईं. यानी दोनों जानकरी मुंबई में ही हैं. हम तो सिर्फ यह चाहते थे कि SBI डोनर्स की स्पष्ट जानकारी दे.’
SBI की तरफ से पेश हुए हरीश साल्वे ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने की तारीख के साथ बॉन्ड का नंबर और उसका विवरण भी देना होगा. इस पर CJI ने पूछा कि जब फैसला 15 फरवरी को सुनाया गया था और आज 11 मार्च हो गया है. अब तक फैसले का अनुपालन क्यों नहीं किया गया?
सुप्रीम कोर्ट सवाल पर साल्वे ने कहा कि हम पूरी सावधानी बरत रहे हैं. ताकी गलत जानकारी देने के लिए हम पर मुकदमा ना हो जाए. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि इसमें मुकदमे की क्या बात है. आपके (SBI) पास सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं.
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