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धन की तरह इच्छाशक्ति- निश्चयात्मक स्वभाव-धन विद्युत को भी बढ़ाने का प्रयत्न करें

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बिजली के बारे में थोड़ी सी जानकारी रखने वाले जानते हैं कि ऋण और धन (नेगेटिव और पॉजिटिव) दो प्रकार की धाराएं मिलकर स्फुरण उत्पन्न करती है। मनुष्य शरीर में यह दोनों प्रकार की धाराएं विद्यमान हैं और उन्हीं के आधार पर जीवन के सारे कार्यों का संचालन होता है। किसी मनुष्य को देखकर उनके गुणों को जानकर हम आसानी से मालूम कर सकते हैं कि उनमें किस धारा का बाहुल्य है। नेगेटिव को अनिश्चयात्मक और पॉजिटिव को निश्चयात्मक कहा जाता है। बाहरी प्रभावों से तुरंत प्रभावित हो जाना और हर प्रकार की हवा के प्रवाह में बहने लगना यह अनिश्चयात्मक स्वभाव हुआ और अपने निश्चय को दृढ़ रखना, बिना विचारे किसी के वाग्जाल में नहीं फँसना, विपत्ति बाधाओं के होते हुए भी अपने पथ पर बने रहना, यह निश्चयात्मक स्वभाव कहा जाता है। जिस व्यक्ति का निश्चयात्मक स्वभाव है, जिसके अंदर धन विद्युत का बाहुल्य है, वह हर प्रकार की कठिनाईयों का मुकाबला करता हुआ, सुख-दुःख को बराबर समझता हुआ, कर्तव्य पथ पर आरूढ़ रहेगा और मन को गिरने न देगा। लेकिन जो ऋण विद्युत वाला है, उस अनिश्चित स्वभाव के मनुष्य को अपना छोटा सा कष्ट पहाड़ के समान दिखाई देगा और पयायी विपत्ति आने पर किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाएगा। आज एक इरादा किया है, कल उसे बदल देगा और तीसरे दिन नया प्रोग्राम बना लेगा। हर प्रकार की उन्नति और सफलता एवं पतन और विफलता के बीच निश्चयात्मक स्वभाव वाले कामों में उत्साही पुरुष संतोषजनक फल प्राप्त करेगा, लेकिन निराशा और निर्बलता के चंगुल में फँसा हुआ व्यक्ति, प्राप्त की हुई सफलता को भी गँवा देगा। इसीलिए जो मनुष्य अपने जीवन को तेजस्वी और प्रतिभाशाली बनाना चाहते हैं, उनके लिए जरूरी है कि अपने अंदर धन विद्युत की मात्रा में वृद्धि करें। जिस प्रकार लोग पैसा कमाना अपना कर्तव्य समझते हैं, उसी प्रकार उन्हें चाहिए कि इच्छाशक्ति- निश्चयात्मक स्वभाव- धन विद्युत को भी बढ़ाने का प्रयत्न करें।

  • अखंड ज्योति मई 1943 पृष्ठ 4
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