किसान आषाढ़ में यदि खेत जोतने और बीज बोने के काम को आगे के लिए टालता जाय, तो उसकी फसल कैसे पकेगी, यह कहना कठिन है। दौड़ की बाजी में 5 मिनट देर से दौड़ने वाला मनुष्य क्या कभी बाजी जीत सकता है? जीवन भी एक दौड़ है। जो अवसर चूकता है, जरूरी कामों में टाल-टूल करता है वह अंत में निराशा, शोक और असफलता का भागी बनता है। जो विद्यार्थी सोचता है कि- “अभी परीक्षा के बहुत दिन पड़े हैं, इतने पाठ तो थोड़े ही दिनों में याद कर लूंगा, अभी से क्या जल्दी है?” उसका परीक्षा में सफल होना कठिन है। टाल-टूल के लिए जो बहानेबाजी आज की जा रही है, वह आगे भी जारी रहेगी और जब समय बिलकुल ऊपर आ जाएगा तो कुछ करते-धरते न बन पड़ेगा। “इसको तो कभी भी कर लेंगे”, जिस काम के बारे में यह समझा जाता है वह कभी भी पूरा नहीं होता। आज के काम को कल पर टाल देने से एक बड़ा आलस, उपेक्षा एवं निराशा भरी आदत पड़ जाती है, जिसके कारण क्रियाशक्ति कुंठित हो जाती है। टाल देने का मतलब प्रायः छोड़ देना होता है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कुछ ऐसी घड़ियां आती है, जिन पर उनके भाग्य का बनना या बिगड़ना निर्भर रहता है। यदि मन उस अवसर पर हिचकिचा गया तो समझिए कि सब कुछ चला गया। समय को व्यर्थ न गँवाओ, उत्तम अवसर को मत चूको, जो लाभदायक है उसे आज ही अपनाओ। जो काम आज हो सकता हो सकता है, उसे कल के लिए मत टालो। उपयोगी अवसर चूक जाने के बाद फिर पछताना ही हाथ रह जाता है।
-अखंड ज्योति जुलाई 1947 पृष्ठ 31