बिजली कर्मियों व अधिकारियों की हड़ताल बुधवार को भी जारी रही। इससे पूरे जिले में हाहाकार मच गया है। शहर में 2 बजे के बाद बिजली गायब हो गई। सिटी पावर हाउस व आशानगर फीडर पूरी तरह से ठप होने से घरों, दफ्तरों समेत आसपास के इलाके की बिजली चली गई। देर शाम तक व्यापारिक प्रतिष्ठानों में इन्वर्टर व जनरेटर चले। इसके बाद वे भी शो-पीस बन गए। ऐसे में जनरेटर तो कोई मोमबत्ती का सहारा ले रहा था। संविदा कर्मियों के जरिए बिजली व्यवस्था को दुरुस्त कराने की कवायद की गई लेकिन वह कोई ज्यादा असरदार नहीं साबित हुई।
बिजली विभाग के अधिकारी व कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले दूसरे दिन भी कार्य बहिष्कार पर रहे। बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता ओपी पाल, अधिशासी अभियंता एके सिंह समेत समस्त स्टाफ ने कार्य बहिष्कार किया। पावर हाउस में धरना देकर प्रदर्शन किया गया। पूरे दिन नारेबाजी व भाषणबाजी का दौर चला। जनता को हो रहीं दिक्कतों के लिए सरकार की तानाशाही को जिम्मेदार ठहराया गया। आंदोलनकारियों ने कहा कि मजबूरी में कार्य बहिष्कार करना पड़ रहा है। कई बार जिले से लेकर प्रदेश नेतृत्व तक आवाज उठा चुका है, लेकिन सरकार न्यायोचित कदम नहीं उठा रही है। निजीकरण जनता के लिए अभिशाप है। बिजली विभाग की सारी व्यवस्थाएं पटरी से उतर जाएंगी। चंद पूंजीपतियों को लाभ होगा लेकिन नुकसान अनगिनत लोगों को होगा। सरकार को मनमाने फैसले नहीं करने चाहिए।
जिले में 25 पावर हाउस व 58 विद्युत सब स्टेशन मंगलवार को शाम तक पूरी तरह से ठप हो गए हैं। हजारों गांवों, कस्बों व शहरी क्षेत्र के मोहल्लों को बिजली दी जाती है। इनमें से करीब 40 फीसदी गांव, व मोहल्लों में बिजली कटौती का असर पड़ा है। काम धंधे भी ठप हो गए हैं। कई बैंकों में भी कामकाज बाधित रहा।