हरदोई: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) हरदोई के सवायजपुर एसडीएम सहित 8 लोगों पर एफआईआर आदेश को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। मामले को चुनौती देते हुए एडिशनल सेक्रेटरी ने हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर की थी।
इस पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस नरेंद्र कुमार जौहरी की खंड पीठ ने दलीलों को सुनने के बाद हरदोई के सीजीएम लाल बहादुर गोंड के आदेश को निरस्त कर दिया है। सीजेएम के आदेश के क्रम में पाली थाना पुलिस ने एसडीएम समेत 8 लोगों पर धारा 419, 420, 467, 468 व 471 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
आपको बता दें पाली थाना क्षेत्र के भाहपुर गांव रहने वाले श्री कृष्णा उर्फ श्रीकेशन पुत्र जालिम ने मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट (सीजेएम) हरदोई की अदालत में कूट रचित तरीकों से जमीन हथियाने का आरोप लगाते हुए 156/3 में एप्लिकेशन दाखिल की थी। वादी ने बताया था कि उसके सगे भाई रमेश की मौत हो गई थी। उसके भाई मृतक रमेश की संपत्ति उसके भतीजे अर्थात भाई सुरेश ऊर्फ सुरेश चंद्र के पुत्र जगत राम उर्फ जगतपाल और नीलम देवी, कमलेश, महेंद्र ने षडयंत्र पूर्वक बारिश बनकर संपत्ति अपने नाम दर्ज करवा ली।
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इसमें उसने तहसीलदार न्यायालय सवायजपुर में आपत्ति भी दाखिल की पर आरोपी की तत्कालीन तहसीलदार अरुणिमा श्रीवास्तव जो कि वर्तमान समय में एसडीएम के पद पर सवायजपुर तहसील में ही तैनात हैं के द्वारा मदद करते हुए श्रेणी प क 11 क के तहत उपरोक्त फर्जी वारिसों को मृतक रमेश का वारिश मानकर उनके हक में आदेश पारित कर दिया गया।
उसमे यह भी बताया गया था कि बीआर अंबेडकर पूर्व माध्यमिक विद्यालय अहमदपुर पाली के प्रधानाचार्य ने फर्जी टीसी बनाई थी। जबकि आरोपी जगत राम उर्फ जगतपाल भाहपुर गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में पड़ा था। इसका विवरण उसने यहां के प्रधानाध्यापक अखिलेश कुमार से आरटीआई के तहत मांगा तो उन्होंने भी आरोपी की मदद करते हुए जानकारी उपलब्ध नहीं कराई।
सीजेएम हरदोई ने वर्तमान एसडीएम अरुणिमा श्रीवास्तव सहित सभी 8 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। जिस पर पाली थाना पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ उपरोक्त धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। सीजेएम के इस आदेश को चुनौती देते हुए एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने प्रयागराज हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक रिट पिटीशन दाखिल की थी।
इस मामले में बीती 14 सितंबर को हाईकोर्ट ने सीजेएम के एफआईआर आदेश पर स्टे ऑर्डर दिया था और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरदोई लाल बहादुर गोंड को उपस्थित होने का आदेश भी दिया था। मामले को लेकर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लाल बहादुर गोंड अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा के जरिए उपस्थित हुए। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने एफआईआर आदेश को निरस्त कर दिया।
हाईकोर्ट ने एसडीएम द्वारा किए गए आदेश को लोक सेवक के तौर पर जनहित में किया गया कार्य माना। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद सवायजपुर एसडीएम अरुणिमा श्रीवास्तव ने राहत की सांस ली है।