सचिवालय: लहरों से डरकर नौका पार नही होती,कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ ये कहावत बिहार राज्य के गया के बांके बाजार निवासी सरिता कुमारी पर सटीक बैठती है। एक दो नही बल्कि 11 विभागों में नौकरी में असफल रहने के बावजूद सरिता कुमारी ने हार नही मानी और 12 वीं बार सचिवालय में नौकरी पाकर अपनी हिम्मत और जज्बे की एक नजीर पेश कर दी।
बताते हैं कि वो सरकारी नौकरी को लेकर कई साल से मेहनत में जुटी रहीं। पहले अपने मायके और फिर ससुराल में भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। इस दौरान उन्होंने बिहार पुलिस, आरपीएफ, एनटीपीसी, दारोगा समेत 11 नौकरियों के लिए एग्जाम दिया।
सचिवालय से पहले रेलवे में लगी नौकरी
इसके बाद भी उन्हें कामयाबी नहीं मिली। हालांकि,सरिता ने हौंसला नहीं छोड़ा। कड़ी मेहनत में जुटी सरिता को आखिरकार सफलता मिली। उनकी नौकरी रेलवे में लगी। इसके बाद भी सरिता ने पढ़ाई जारी रखी और अब उनका सेलेक्शन सचिवालय में अफसर के तौर पर हो गया है।
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दर्जनभर नौकरी में सरिता हुईं सेलेक्ट
गया के भोक्तौरी गांव की निवासी सरिता कुमारी का सेलेक्शन सचिवालय में सहायक प्रशाखा पदाधिकारी के पद पर हुआ है। गया जिले के सूदूर गांव से निकलकर सरिता के अफसर बनने की राह इतनी भी आसान नहीं थी। उनका शुरू से ही एक सपना था कि वह सरकारी नौकरी करें। इसके लिए वो लगातार पढ़ाई में जुटी रहीं।
कंपटीशन की तैयारी में उन्होंने कई एग्जाम दिए। करीब दर्जनभर नौकरी में वो सेलेक्ट हुईं लेकिन कभी इंटरव्यू तो कभी मेरिट की वजह से वो सेलेक्ट नहीं हो सकीं।
सरिता कहती हैं कि कई बार असफल होने के बाद उनका मनोबल टूटा। इस बीच उनकी शादी भी हो गई। अच्छा ये रहा कि इनके पति और ससुराल पक्ष के लोगों ने उन्हें भरपूर सहयोग किया। जिसके चलते सरिता की पढ़ाई आगे भी जारी रही। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी को लेकर वो गांव से करीब 5 किलोमीटर दूर बांके बाजार जाती थी।
लगभग एक साल तक गया शहर में भी रहीं। घर वालों का सहयोग मिलने का फायदा मिला और सरिता ने आखिरकार बीते सितंबर माह में ईस्टर्न रेलवे में नौकरी हासिल कर ली।
सचिवालय सहायक प्रशाखा पदाधिकारी के तौर पर हुआ सेलेक्शन
सरिता कुमारी ने बताया कि रेलवे में सेलेक्शन के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। उनका सपना अधिकारी बनने का था। वो मेहनत में जुटी रहीं, पिछले दिनों ही उनका सेलेक्शन सचिवालय सहायक प्रशाखा पदाधिकारी के तौर पर हुआ। अब वो पटना सचिवालय में अफसर के तौर पर काम करेंगी। जैसे ही उनका सेलेक्शन हुआ इसकी खबर जब परिवारीजनों को मिली तो उनकी और उनके परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
सरिता ने अकेले सफलता हासिल नहीं की। उनके पति विनोद कुमार की भी नौकरी लगी है। विनोद बताते हैं कि वो अपने गांव के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी रेलवे में नौकरी लगी। उनके अलावा 6 और गांव के लोगों की इसी तरह से नौकरी लगी। हालांकि, उन्होंने अपनी पत्नी को मिली कामयाबी के लिए खुशी जताई। उन्होंने कहा कि पत्नी का सहायक प्रशाखा पदाधिकारी के पद पर चयन पूरे परिवार के लिए बड़ी बात है। सभी बेहद खुश हैं।