इस्राइल-हमास के बीच चल रही जंग को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में सोमवार रात लाया गया रूस का लाया गया प्रस्ताव खारिज हो गया। रूस के इस प्रस्ताव में गाजा में आम नागरिकों के खिलाफ हो रही हिंसा की निंदा करते हुए युद्धविराम की मांग की गई थी, लेकिन रूस के इस प्रस्ताव में हमास द्वारा इस्राइली नागरिकों पर किए गए बर्बर हमले का जिक्र तक नहीं किया गया था।
इसी कारण पश्चिमी देशों ने रूस के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पास होने के लिए 9 वोटों की आवश्यकता थी लेकिन इस प्रस्ताव के समर्थन में केवल चार देशों ने वोट किया। वहीं चार देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया।
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रूसी प्रस्ताव का इन देशों ने किया समर्थन
रूस के प्रस्ताव के समर्थन में चीन, संयुक्त अरब अमीरात, मोजाम्बिक और गैबोन मतदान किया हैं। वहीं इस प्रस्ताव के विरुद्ध वोट करने वाले देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और फ्रांस शामिल हैं। छह देश वोटिंग में शामिल ही नहीं हुए।
बता दें कि इस्राइल और हमास के बीच छिड़ी जंग को लगभग दो हफ्ते का समय हो चुका है लेकिन अभी तक सुरक्षा परिषद, जिस पर वैश्विक शांति और सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वह इस हिंसा को रोकने में नाकाम रही है।
7 अक्तूबर को फलस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने इस्राइली सीमा में घुसकर 1400 लोगों की हत्या कर दी थी। वहीं इस्राइल के जवाबी हमले में अब तक गाजा पट्टी में 2750 से ज्यादा लोगों की जान गवां चुके है।
‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, पश्चिमी देशों की बंधक’
रूस का प्रस्ताव खारिज होने के बाद रूसी राजनयिक वेसिली नेबंजिया ने कहा कि एक बार फिर साबित हो गया है कि सुरक्षा परिषद पश्चिमी देशों की बंधक है और यह बीते दशक की सबसे गंभीर हिंसा रोकने के लिए एकजुट संदेश देने में विफल रही है।
हमास ने इस्राइली नागरिकों को ख़त्म करने की नीयत से किया हमला: अमेरिकी राजदूत
वहीं अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि रूस के प्रस्ताव में हमास का जिक्र ही नहीं किया गया है जबकि हमास ने इस्राइली नागरिकों और यहूदियों को ख़त्म करने की नीयत से इतना घातक हमला किया। रूस हमास की निंदा नहीं कर इस आतंकी संगठन के बर्बर कृत्य का बचाव कर रहा है।
ग्रीनफील्ड ने कहा कि हमास के हमले के कारण ही गाजा में यह गंभीर मानवीय संकट पैदा हुआ है। अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ने गाजा पट्टी में जारी हिंसा की भी निंदा की लेकिन ये भी कहा कि आतंकी हमले का जवाब देना इस्राइल का अधिकार है।
ब्रिटेन की राजदूत बारबरा वुडवार्ड ने भी रूसी प्रस्ताव की निंदा की और कहा कि इस्राइल पर हुए उसके इतिहास के सबसे बर्बर हमले को इस प्रस्ताव में नजरअंदाज कर दिया गया है