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सशस्त्र सेना झंडा दिवस 2020: ताकत वतन की हमसे है हिम्मत वतन की हमसे है…

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सशत्र सेना झंडा दिवस: जाड़े में मखमली लिहाफ में नींद लेते हुए कभी अपने अचेतन मस्तिष्क को बताइए कि भारत की एलओसी की अग्रिम चोटियों पर 50 हजार से अधिक जवान तैनात हैं।

सशस्त्र सेना झंडा दिवस :जब आम नागरिकों के पास मौका होता है इनके सम्मान और कल्याण में अपना योगदान देने का

वहां हिमचोटियों का तापमान -40 डिग्री सेंटीग्रेड है और ऑक्सीजन इतनी कम कि सोचने-समझने की क्षमता आधी रह जाए। शीघ्र ही आप इस निष्कर्ष पर पहुंच जाएंगे कि सशस्त्र सेना जुनून और जीवन पद्धति है।

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारतीय सशस्त्र सेनाओं ने न केवल कई सीधे युद्ध जीते, बल्कि संयुक्त राष्ट्र ऑपरेशनों, आपदा राहत आदि में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

वाद और पंथ से कोसों दूर इन जांबाजों ने वर्ष 2014 की जम्मू-कश्मीर और वर्ष 2018 की केरल बाढ़ में भी हजारों लोगों की जान बचाईं।

सैनिकों के शौर्य की बहुरंगी कथा को सुखांत देने के उद्देश्य से 1949 में तत्कालीन रक्षामंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई और प्रत्येक वर्ष सात दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाने का निर्णय लिया।

भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण एवं पुनर्वसन तथा युद्ध में वीरगति प्राप्त योद्धाओं के कल्याण हेतु आयोजित इस झंडा दिवस पर पूरे देश से ‘परोपकारी निधि’ में दान प्राप्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। केंद्रीय स्तर पर यह कार्य रक्षा मंत्रालय के अधीन केंद्रीय सैनिक बोर्ड करता है।

राज्य स्तर पर 32 राज्य सैनिक बोर्ड तथा जिला स्तर पर 392 जिला सैनिक बोर्ड इस कार्य को करते हैं।

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