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जानें कैसे शुरु हुई हरियाली तीज? हरियाली तीज के दिन व्रत रखकर मनचाहे वर की कामना करती है कुवांरी लड़कियां

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हरियाली तीज पर अविवाहित कन्याएं शिव की साधना से मनचाहा वर पा सकती हैं. जबकि विवाहित महिलाएं गौरी-शंकर की आराधना कर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. यही वो दिन है जब शिव ने पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हे अपनी संगिनी बनाने का वरदान दिया था. और तभी से कुंआरी लड़कियां हरियाली तीज के दिन व्रत रखती हैं और मनचाहे वर की कामना करती हैं.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, खुद पार्वती को भी न जाने कितनी बार घोर तपस्या करनी पड़ी थी. खुद को साबित करना पड़ा था. महादेव को प्रसन्न करना पड़ा था. पार्वती ने दो बार शिव की कामना की और उन्हें शिव मिले भी, पहले सती रूप में और फिर उमा रूप में.

सती रूप में पार्वती ने ब्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति के यहां जन्म लेकर शिव से ब्याह तो कर लिया, लेकिन दक्ष दामाद के रूप में महादेव को कभी स्वीकार नहीं कर पाए. पिता की इस जिद का अंत आखिर में सती की मृत्यु के साथ ही हुआ. मृत्यु के समय सती ने भगवान से ये वरदान मांगा कि प्रत्येक जन्म में मेरा शिवजी के चरणों में अनुराग रहे. इसी कारण उन्होंने हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया.

शिव को पाने के लिए पार्वती की तपस्या

हालांकि सती के वियोग में दुनिया भुला बैठे शिव को दोबारा पति के रूप में पाना इस बार पार्वती के लिए और भी मुश्किल साबित हुआ. पार्वती ने शंकर जी को पाने के लिए घोर तपस्या शुरू कर दी. ऐसा कहते हैं कि उन्होंने 13 साल तक सिर्फ बेलपत्र खाकर भोले शंकर की आराधना की थी.

हरियाली तीज की ऐसे हुई शुरुआत

पार्वती की श्रद्धा देखकर भोले भंडारी प्रसन्न हुए और उन्होंने हरियाली तीज के दिन पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया और फिर धूमधाम से विवाह हुआ. इस तरह तीज के दिन माता पार्वती की कामना पूरी हुई और उन्हें पति के रूप में भगवान शिव प्राप्त हुए. तब माता पार्वती ने प्रसन्न होकर कहा था कि इस दिन जो स्त्री निष्ठा से व्रत और पूजन करेगी, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. उसका वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा.

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