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भूकंप का बार-बार आना, कहीं बड़े खतरे का संकेत तो नहीं, जाने किस जोन में सबसे ज्यादा खतरा

तीन दिन के अंतराल पर आये भूकंप के दो झटकों ने भू वैज्ञानिकों की भी चिंता बढ़ा दी है। बार-बार आ रहे भूकंप के झटके कहीं बड़ी विनाशकारी आपदा का संकेत तो नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि आये इन भूकंपो का केंद्र भी बदला हुआ है और उत्तराखंड के बहुत नजदीक के हिस्सों में है।

आइआइटी कानपुर के भू वैज्ञानिक प्रो. जावेद मलिक ने बताया कि इस बार का भूकंप 2015 में आए नेपाल के भूकंप के बाद के झटकों का पार्ट नहीं है। यह नए भूकंप की चेतावनी हो सकती है।

जावेद मलिक ने बताया कि 3 नवंबर को नेपाल में आए भूकम्प की तीव्रता को भारतीय जियोलाजिक सर्वे संगठन ने रिएक्टर पैमाने पर 6.4 बताया था, लेकिन अमेरिका के जियोलाजिकल सर्वे ने इसे 5.7 मैग्नीट्यूड ही माना है।

भूकंप का केंद्र हमारे करीब ही है

उन्होंने कहा कि दोनों के आकलन में तीव्रता का बड़ा अंतर है, लेकिन जिस तरह का भूकम्प तीन नवंबर को आया है उसके झटके उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में महसूस किए इसके अलावा सोमवार के भूकंप का भी झटका महसूस हुआ है। इससे पता चलता है भूकंप का केंद्र हमारे करीब ही है।

प्रो. जावेद मलिक ने कहा चिंता इस बात की भी है कि आखिर भूकम्प बार-बार क्यों आ रहे हैं। कहीं यह किसी बड़े भूकंप आने की संकेत तो नहीं है, क्योंकि इस बार भूकम्प नेपाल के उस पूर्वी क्षेत्र में नहीं आये हैं जहां 2015 में आए थे।

इस बार के भूकम्प का केंद्र नेपाल के पश्चिमी हिस्से में था

इस बार इनका केंद्र नेपाल के पश्चिमी हिस्से में बना हुआ है जो उत्तराखंड और कुमाऊं क्षेत्र के समीप है। उन्होंने कहा भूकंप के केंद्र बदले होने से यह स्पष्ट है कि यह भूकम्प 2015 के बड़े भूकंप के बाद प्लेटों के अपने को व्यवस्थित करने से संबंधित आफ्टर शाक नहीं है।

इससे पूर्व वर्ष 2015 में उत्तराखंड में लगभग 8 मैग्नीट्यूड का विनाशकारी भूकम्प आया था, तबसे अब तक इतना बड़ा भूकम्प नहीं आया। इसी कारण हिमालयी क्षेत्र में आशंका सबसे ज्यादा बनी है। उन्होंने कहा कि देश में पांच भूकम्प जोन बनाए गए हैं।

  • सबसे खतरनाक जोन 5
  • सबसे खतरनाक जोन 5 माना गया है जिसमें कच्छ, अंडमान निकोबार, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत आसपास के अन्य राज्य व शहर के इलाके शामिल हैं
  • जोन 2 को सबसे सुरक्षित माना गया है इसमें भोपाल, जयपुर, हैदराबाद समेत आसपास के अन्य शहर शामिल हैं।
    जोन तीन में लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, सोनभद्र, चंदौली समेत आसपास के अन्य क्षेत्र आते हैं अगर इनमे 7.5 मैग्नीट्यूड के आस-पास का भूकम्प आता है तो इन सभी को भी झटका लग सकता है। जबकि
  • जोन चार में बहराइच, लखीमपुर, हरदोई, पीलीभीत, गाजियाबाद, रुड़की, नैनीताल समेत अन्य तराई वाले क्षेत्र आते हैं।
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प्रदीप पाल, पिछले छह सालों से डिजिटल मीडिया इंडस्ट्री में एक्टिव हैं. इस दौरान इन्होंने अलग-अलग कई न्यूज़ पोर्टल्स पर काम किया. मूल रूप से हरदोई के रहने वाले हैं. बिजनेस के साथ ही राजनीति, शिक्षा, मनोरंजन, लाइफस्टाइल और सरकारी योजनाओं की खबरों में ख़ास रूचि है.
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