हरदोई: जब हौसले बुलंद हो और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो पहाड़ो को काटकर भी रास्ता बन जाता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है एक गरीब मजदूर ने । उसके पास न पैसा था और न ही संसाधन,थी तो केवल हिम्मत।
इसी हिम्मत के चलते एक मजदूर ने पत्नी के जेवर गिरवी रखे और शुरू कर दी मशरूम की खेती। इससे न सिर्फ वह आत्मनिर्भर हुआ बल्कि गांव के लगभग बीस लोगों को रोजगार भी दे दिया। कभी उस पर हंसने वाले लोग अब उसकी हिम्मत की दाद दे रहे हैं।
हम बात कर रहें हैं पिहानी विकास खंड के पहाड़पुर गांव निवासी दिर्वेश कुमार की। कक्षा आठ पास दिर्वेश हरियाणा में एक पौपलर की नर्सरी पर नौ हजार रुपये महीना की मजदूरी पर काम करता था। दिर्वेश ने बताया कि उसने पडोस में मशरूम की खेती देखी और मशरूम की खेती सीखने की इच्छा जाहिर की।
- यह भी पढ़ें:
- सब इंस्पेक्टर और एएसआई के 921 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू, इस तारीख से शुरू होंगे आवेदन
- Xiaomi SU7 ने टेस्ला की सुपर कार को भी दी मात
- Google Pixel 7a पर 7500 रुपये तक की बम्पर छूट, सस्ते में मिलेगा बेस्ट कैमरा फोन
- 85 इंच का Huawei Smart Screen V5 टीवी हुआ लॉन्च, जानें क्या है कीमत और फीचर्स
मशरूम की खेती करने वाले ने उसे सिखाने की हामी भरी तो फिर काम से वापस आने पर वह मशरूम पैदा करने की बारीकियां सीखने लगा। बकौल दिर्वेश कुछ दिनों में ही वह सीख गया तो पहली बार प्रयोग में पांच कुन्तल भूसा खरीदकर उसकी कंपोस्ट खाद तैयार की और मशरूम उगाए। प्रयोग कामयाब हुआ तो खुशी हुई और हिम्मत बढ़ गई।
पत्नी के जेवर गिरवी रखकर शुरू की मशरूम की खेती
नौकरी छोड़कर गांव में मशरूम की खेती करने की ठानी लेकिन न तो पैसा था और न ही संसाधन। दिर्वेश बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने पत्नी के जेवर गिरवी रख दिये और परिवार व रिश्तेदारों से उधार पैसा मांग लिया। सितंबर में गांव में कंपोस्ट खाद तैयार की और अक्टूबर में चैंबर बनाकर तैयार कर दिया। संसाधन नही थे तो जुगाड़ से काम चलाया। हरियाणा से लाए बीज डाल दिए। इसी महीने से मशरूम निकलने लगे जिसकी आसपास गांवो में बिक्री होने लगी है।
अपने साथ दूसरों को भी दिया रोजगार
दिर्वेश ने बताया कि गांव के बेरोजगार अशोक,श्यामू, रवि,राजन सहित लगभग बीस लोगों को रोजगार मिल गया। सभी सुबह आकर मशरूम लेकर बेचने चले जाते हैं, इससे हमारे साथ -साथ वह सभी भी रोजाना ढाई से तीन सौ की बचत करने लगे हैं।
सभी ने किया विरोध लेकिन अब दे रहे शाबासी
दिर्वेश बताते हैं कि जब उन्होंने मसरूम की खेती करने के लिए भूसा खरीदा और कंपोस्ट बनाने की तैयारी शुरू की तो लोग मजाक उड़ाते हुए विरोध करने लगे। हालांकि उनकी पत्नी ने इसमें पूरा सहयोग दिया। अब जब मशरूम निकलने लगे हैं तो वही लोग शाबाशी भी दे रहें हैं।