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आर्टिफिशियल स्वीटनर: शुगर फ्री के नाम पर ये चीजें बना सकती हैं आपको कैंसर का मरीज

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हाल के वर्षों में, अधिक से अधिक लोग चीनी के स्थान पर कृत्रिम मिठास (आर्टिफिशियल स्वीटनर) का उपयोग कर रहे हैं। वे इसका उपयोग मधुमेह, वजन कम करने, स्वस्थ त्वचा पाने या बहुत अधिक मीठी चीजें न खाने जैसे कारणों से बहुत अधिक चीनी से बचने के लिए करते हैं। हालाँकि, अध्ययनों से पता चला है कि कृत्रिम मिठास नियमित चीनी की तुलना में अधिक स्वास्थ्यवर्धक नहीं है। कुछ लोग तो यहां तक ​​कहते हैं कि आर्टिफिशियल स्वीटनर एक तरह के जहर की तरह होती है।

वैज्ञानिक लंबे समय से एस्पार्टेम नामक एक प्रकार के स्वीटनर का अध्ययन कर रहे हैं। अब वे कह रहे हैं कि इससे लोगों में कैंसर हो सकता है। इसका मतलब यह है कि यह लोगों को बहुत गंभीर बीमारी से बीमार कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन एस्पार्टेम को इंसानों के लिए कैंसरकारी घोषित करने के लिए तैयार है. कार्सिनोजेनिक का अर्थ है कैंसर पैदा करने की क्षमता होना. 

एस्पार्टेम एक (आर्टिफिशियल स्वीटनर) है जिसका उपयोग बहुत से लोग अपने भोजन और पेय में करते हैं। इसका उपयोग उन चीज़ों में किया जाता है जिनमें कम कैलोरी होती है, लेकिन फिर भी इसमें नियमित चीनी के समान ही कैलोरी होती है। एस्पार्टेम चीनी की तुलना में 200 गुना मीठा होता है, इसलिए चीजों का स्वाद मीठा करने के लिए इसकी थोड़ी सी मात्रा की ही आवश्यकता होती है। 

क्या शुगर फ्री गोलियों में एस्पार्टेम पाया जाता है?

इस सवाल पर दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट अशोक अंशुल कहते हैं, ”एस्पार्टेम (आर्टिफिशियल स्वीटनर) का इस्तेमाल बिना कैलोरी एड किए खाने और पीने की चीजों को मीठा बनाने के लिए किया जाता है. इसे डायबिटीज के मरीजों के लिए बाजार में उतारा गया ताकि वो बिना शुगर बढ़ाए अपने मीठे की क्रेविंग को शांत कर सकें. यह आमतौर पर भारत में शुगर फ्री गोल्ड, इक्वल और कई आर्टिफिशियल स्वीटनर में इस्तेमाल किया जाता है. इसका उपयोग कोक जीरो और पेप्सी मैक्स जैसे कई लोकप्रिय पेय पदार्थों में भी होता है.”

वो आगे कहते हैं, ”डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए सबसे जरूरी है कि वो अपनी जीवनशैली बदलें और एक्स्ट्रा कार्ब्स और शुगर से बचने के लिए मीठे से दूरी बनाएं. अगर कभी-कभी अगर उन्हें कुछ मीठा खाने का मन करता है तो अपने शुगर लेवल का ध्यान रखते हुए सीमित मात्रा में आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल कर सकते हैं, अगर आप आर्टिफिशियल स्वीटनर से बनी हुई चॉकलेट या मिठाइयों का भी ज्यादा सेवन करते हैं तो आपके अंदर एक्स्ट्रा कैलोरी जाएंगी जो वजन बढ़ने और मोटापे का कारण बन सकती हैं और हानिकारक भी हो सकती हैं.”

एस्पार्टेम (आर्टिफिशियल स्वीटनर) डायबिटिक और स्वस्थ लोगों के लिए किस तरह हानिकारक हो सकता है?

इस पर अशोक अंशुल कहते हैं, ”डायबिटिक और स्वस्थ लोग आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल यह सोचकर करते हैं कि उसमें कैलोरी कम है, हालांकि उनमें फैट और बाकी अनहेल्दी कंपाउंड्स हो सकते हैं जो आगे चलकर वजन बढ़ने और मोटापे का कारण बन सकते हैं.”

उन्होंने कहा, ”कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला है कि यह आंतों से जुड़ी दिक्कतें पैदा कर सकते हैं. इसके अलावा वो बहुत मीठे होते हैं इसलिए दिमाग पर इसका असर चीनी की तरह ही होता है जिससे लोगों को कई बार और मीठा खाने का मन करता है. नतीजन उनकी भूख बढ़ती और आगे चलकर मेटाबॉलिक डिसॉर्डर भी हो सकते हैं.” 

अशोक अंशुल के मुताबिक, ”हाल ही में WHO ने एस्पार्टेम को कुछ प्रकार के कैंसरों के संभावित जोखिम कारक के रूप में वर्गीकृत किया है. हालांकि इस पर अभी अधिक शोध की जरूरत है. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि किसी व्यक्ति के शरीर के वजन के प्रति किलोग्राम 40 मिलीग्राम की दैनिक सीमा के भीतर इसका सेवन करना सुरक्षित है.

आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले ब्रांडों के एक पाउच में 37 मिलीग्राम एस्पार्टेम होता है. कोल्ड ड्रिंक के एक कैन में 200-300 मिलीग्राम एस्पार्टेम (आर्टिफिशियल स्वीटनर) होता है. डेली लिमिट को पार करने के लिए 70 किलोग्राम वजन वाले वयस्क को इन पेय पदार्थों के 10 -14 कैन से अधिक या इन मिठास के 50 पाउच से अधिक का सेवन करना होगा.”

उन्होंने बताया, ”अपनी डाइट में चीनी और शुगर फ्री चीजों से बचने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए. कुल मिलाकर अगर कम मात्रा में और कभी-कभी उपयोग किया जाए तो यह डायबिटीज रोगियों और स्वस्थ लोगों दोनों के लिए सुरक्षित है.”

क्या है आर्टिफिशियल स्वीटनर? 

कृत्रिम मिठास एक विशेष प्रकार की चीनी की तरह होती है जो कुछ प्राकृतिक चीजों और कुछ रसायनों को मिलाकर बनाई जाती है। जिन लोगों को मधुमेह है वे कभी-कभी नियमित चीनी के बजाय कृत्रिम मिठास का उपयोग करते हैं। कृत्रिम मिठास का स्वाद चीनी जैसा होता है, लेकिन वे बहुत अधिक मीठे होते हैं।

एक छोटी सी गोली की कल्पना करें जो साबूदाने के दाने जितनी छोटी हो। जब आप इसे अपनी चाय में डालते हैं, तो इसका स्वाद उतना ही मीठा हो सकता है जैसे कि आपने एक या दो चम्मच चीनी मिला दी हो। कुछ मिठास कम या शून्य कैलोरी वाले बने होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे आपका वजन नहीं बढ़ाएंगे। हालाँकि, यह पूरी तरह सच नहीं है कि इनसे आपका वज़न नहीं बढ़ेगा।

इन चीजों में भी होता है आर्टिफिशियल स्वीटनर

कृत्रिम मिठास (आर्टिफिशियल स्वीटनर) कई अलग-अलग खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में मिलाई जाती है जो हमें पसंद हैं, जैसे सोडा, चिप्स, कैंडी और यहां तक ​​कि टूथपेस्ट भी। इसका मतलब यह है कि भले ही हम स्वयं कृत्रिम मिठास (आर्टिफिशियल स्वीटनर) नहीं खाते हैं, फिर भी जब हम इन व्यंजनों का आनंद लेते हैं तो हम उन्हें अपने शरीर में डाल लेते हैं।

भोजन और पेय पदार्थों को मीठा बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले कुछ रसायन हानिकारक हो सकते हैं और कैंसर का कारण बन सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिकों के एक समूह ने एस्पार्टेम नामक इन रसायनों में से एक की जांच की और पाया कि यह कैंसर से जुड़ा हो सकता है। इस पर चर्चा के लिए उन्होंने फ्रांस में एक बैठक की.

डायबिटीज से बचने के लिए शुगर फ्री हेल्दी ऑप्शन नहीं

आपको बता दें कि आर्टिफिशियल स्वीटनर का उपयोग वजन को कंट्रोल करने और दूसरी कई बीमारियों से बचने के लिए कई तरह के प्रोडक्ट्स में चीनी के विकल्प के तौर पर किया जाता है.

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोल्ड ड्रिंक्स में इस्तेमाल होने वाले एस्पार्टेम को इंसानों के लिए खतरनाक चीज के रूप में क्लासिफाइड कर दिया गया है. हालांकि डब्ल्यूएचओ ने यह भी साफ किया कि सीमित मात्रा में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. 

क्या कहता है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

विश्व स्वास्थ्य संगठन के न्यूट्रीशन और फूड सिक्योरिटी के डायरेक्टर फ्रांसेस्को ब्रैंका ने एस्पार्टेम के रिव्यू स्टडी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पेश करते हुए कहा, ”हम कंपनियों को बाजार से अपने प्रॉडक्ट वापस लेने की सलाह नहीं दे रहे हैं, ना ही हम उपभोक्ताओं को पूरी तरह से इसका सेवन बंद कर देने की सलाह दे रहे हैं. हम बस थोड़ा संयम बरतने की सलाह दे रहे हैं.”

स्टडी और रिव्यूज के बाद इस एस्पार्टेम को ग्रुप 2 बी उन फूड्स की कैटेगरी में रखा गया है जो विशेष रूप से हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा यानी लिवर कैंसर से संबंधित कैटेगरी है.

एस्पार्टेम के खतरों को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने जानवरों पर रिसर्च की थी जहां उन्हें इससे होने वाली कैंसर की बीमारी के सबूत भी मिले. 

लॉस एंजिल्स में सीडर्स-सिनाई मेडिकल सेंटर में कैंसर महामारी विज्ञान के प्रोफेसर पॉल फरोहा ने बताया, ”इस समूह 2बी की कैटेगरी में चाय और कॉफी में पाए जाने वाले एलोवेरा और कैफिक एसिड का अर्क भी शामिल है.”

आईएआरसी की मैरी शुबाउर-बेरिगन ने कहा कि हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा के ये सबूत हमें अमेरिका और 10 यूरोपीय देशों में किए गए तीन अध्ययनों से मिले हैं.

उन्होंने बताया, ”यह इकलौती ऐसी स्टडी है जहां लिवर कैंसर का एक महामारी के तौर पर आकलन किया गया है.” 

ब्रांका ने कहा, ”हमने एक तरह से यहां एक अलर्ट जारी किया है जो यह बताता है कि हमें स्थिति को और अधिक साफ करने की जरूरत है लेकिन यह इतनी भी हल्की बात नहीं है जिसे हम खारिज कर सकें.”

एस्पार्टेम का ज्यादा इस्तेमाल हानिकारक

वहीं, डब्ल्यूएचओ और उसकी साथी संयुक्त राष्ट्र एजेंसी खाद्य और कृषि संगठन के एक और ग्रुप ज्वॉइंट एक्सपर्ट कमिटी ऑन फूड एडिटिव्स (JECFA) ने एस्पार्टेम से जुड़े जोखिमों का मूल्यांकन करने के लिए 27 जून से छह जुलाई तक जेनेवा में एक बैठक की थी.  इस बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि एस्पार्टेम के 1981 में स्थापित एक्सप्टेबल डेली इनटेक (एडीआई)  यानी एक तय सुरक्षित मात्रा को बदलने का कोई कारण नहीं है.  

शुगर-फ्री सॉफ्ट ड्रिंक के एक कैन में आमतौर पर 200 या 300 मिलीग्राम एस्पार्टेम स्वीटनर (आर्टिफिशियल स्वीटनर) होता है इसलिए 70 किलोग्राम वजन वाले वयस्क को एक्सप्टेबल डेली इनटेक से अधिक एस्पार्टेम का सेवन करने के लिए दिन में नौ से 14 कैन से अधिक का उपयोग करने की जरूरत होगी, अगर वो दूसरे सोर्सेस से एस्पार्टेम का सेवन नहीं कर रहा है तो.

ब्रैंका ने कहा, ”समस्या उन उपभोक्ताओं के लिए है जो बहुत ज्यादा सेवन करते हैं. जो लोग कभी-कभार सोडा पीते हैं उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है.”

इन चीजों में होता है एस्पार्टेम

  • एस्पार्टेम एक आर्टिफिशियल स्वीटनर है जिसका उपयोग 1980 के दशक के बाद से विभिन्न खाद्य और पेय उत्पादों में व्यापक रूप से किया जा रहा है. यह डाइट ड्रिंक्स, च्युइंग गम, जेलेटिन, आइसक्रीम, दही जैसे डेयरी उत्पाद, नाश्ता अनाज, टूथपेस्ट, और चबाने वाले विटामिन की गोलियों में भी पाया जाता है.
  • इंटरनेशनल स्वीटनर्स एसोसिएशन ने कहा कि समूह 2बी कैटेगरी एस्पार्टेम को किमची और ऐसी सब्जियां जिन्हें अचार बनाने और लंबे समय तक स्टोर करने के लिए उनमें एसिड का इस्तेमाल किया जाता है. 
  • ISA प्रमुख हंट वुड ने कहा, ”जेईसीएफए ने गहन, व्यापक और वैज्ञानिक रूप से पुख्ता समीक्षा करने के बाद एक बार फिर एस्पार्टेम की सुरक्षा पर भरोसा जताया है.”
  • लेकिन फूड सेफ्टी पर काम करने वाली संस्था फूडवॉच की कैंपेन मैनेजर केमिली डोरिओज ने इसे खतरनाक बताया है. उन्होंने कहा, कार्सिनोजेनिक स्वीटनर का हमारे फूड और ड्रिंक्स में कोई जगह नहीं होनी चाहिए. 
  • इससे पहले मई में भी WHO ने आर्टिफिशियल स्वीटनर का रिव्यू करने के बाद कहा था कि चीनी के विकल्प के तौर पर आर्टिफिशियल स्वीटनर वजन घटाने में मदद नहीं करते बल्कि शरीर को बीमार कर सकते हैं.
  • संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने इसका सीमित उपयोग करने की सलाह देते हुए दिशानिर्देश जारी किए थे.
  • ब्रांका से पूछा गया कि उपभोक्ताओं को अब क्या करना चाहिए. उनके लिए चीनी वाली ड्रिंक और आर्टिफिशियल ड्रिंक में क्या सही रहेगा, इस पर उन्होंने कहा, ”आपको तीसरे विकल्प पर विचार करना चाहिए जो पानी है और मीठे फूड-ड्रिंक्स के सेवन को सीमित कर देना चाहिए. कोशिश करनी चाहिए कि हम ऐसी चीजों का सेवन करें जो सुरक्षित हों.” 
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