राम मंदिर में रामलला यानि राघव के विग्रह रूप में प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है. राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मौके पर अयोध्या पहुंचे विशिष्ट अतिथियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि मैं आपका सभी का स्वागत करता हूं.
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने राम मंदिर को राष्ट्र मंदिर बताया और कहा, श्रीराम जन्मभूमि, विश्व में पहला ऐसा अनूठा बाकया रहा होगा, जिसमें किसी देश के बहुसंख्यक समाज ने अपने ही देश में अपने भगवान की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए इतने वर्षों तक लड़ाई लड़ी हो.
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि आज का दिन मेरे व्यक्तिगत जीवन के लिए सबसे बड़े आनंद का अवसर है. यह श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति का संकल्प ही था, जिसने मुझे पूज्य गुरुदेव, राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत श्री अवेद्यनाथ जी महाराज का पुण्य सान्निध्य प्राप्त कराया.
श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति महायज्ञ न केवल सनातन आस्था व विश्वास की परीक्षा का समय रहा, बल्कि संपूर्ण भारत को एकात्मकता के सूत्र में बांधने के लिए राष्ट्र की सामूहिक चेतना जागरण के ध्येय में भी सफल सिद्ध हुआ. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की स्थापना भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आध्यात्मिक अनुष्ठान है, यह ‘राष्ट्र मंदिर’ है. निःसंदेह! श्री रामलला विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा राष्ट्रीय गौरव का ऐतिहासिक अवसर है.
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हमें संतोष है कि राम मंदिर वहीं पर बना है, जहां बनाने की सौगंध ली थी. 500 वर्षों के अंतराल के बाद आए प्रभु श्री रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक और अत्यंत पावन अवसर पर आज पूरा भारत भाव-विभोर और भाव विह्वल है.
उन्होंने कहा कि श्री अवधपुरी में श्री रामलला का विराजना भारत में ‘रामराज्य’ की स्थापना की उद्घोषणा है. ‘सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती’ की परिकल्पना साकार हो उठी है.
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